योगी आदित्यनाथ ने बदला आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम,लोगों ने कहा योगी को नाम बदलने के अलावा नहीं आता कोई काम

इससे पहले 2017 में भी ताजमहल को लेकर योगी आदित्यनाथ सुर्खियों में थे। 2017 के राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक बजट में जिन इमारतों पर ख़र्च करने का प्रस्ताव था, उसमें ताजमहल का नाम शामिल नहीं किया गया था।

योगी आदित्यनाथ ने बदला आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम,लोगों ने कहा योगी को नाम बदलने के अलावा नहीं आता कोई काम
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं, कारण है सपा सरकार में प्रस्तावित आगरा में बन रहे मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी के नाम पर करने को लेकर। कल सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने शिवाजी को अपना नायक बताया है, साथ ही यह भी कहा कि नए उत्तर प्रदेश में ग़ुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं हैं।

आगरा में निर्माणाधीन म्यूजियम को छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा।आपके नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं।हम सबके नायक शिवाजी महाराज हैं।जय हिन्द, जय भारत

Posted by MYogiAdityanath on Monday, 14 September 2020

आगरा म्यूज़ियम की कहानी

जिस म्यूज़ियम के बारे में योगी आदित्यनाथ कह रहे थे, उसको उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2015 में मंज़ूरी दी थी। आगरा में ताजमहल के पूर्वी गेट के पास क़रीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर ये संग्रहालय परियोजना तैयार करने की बात थी, इसके लिए ताजमहल के पास छह एकड़ ज़मीन दी गई थी और इस संग्रहालय में मुग़ल संस्कृति और कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाना था। पाँच साल बीत जाने के बावजूद इस परियोजना में कुछ ख़ास प्रगति नहीं हो पाई है।

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सुनाया नाम बदलने का फैसला

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्य में तेज़ी लाने के निर्देश दिए और साथ ही नाम बदलने पर फ़ैसला सुना दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताज़ा फ़रमान के बाद अब संग्राहलय में न सिर्फ़ मुग़ल साम्राज्य के इतिहास से संबंधित चीज़ें रहेंगी, बल्कि शिवाजी का इतिहास भी संग्रहालय में संरक्षित किया जाएगा।

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आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा मुगल आक्रांता थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म और भारत को समाप्त करने का प्रयत्न किया। हमारे मन्दिर तोड़े, हजारों महिलाओं की अस्मत लूटी और लाखों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए अपना जीवन समाप्त कर दिया। तो मुगल हमारे हीरो कैसे हो सकते हैं? भारत से गुलामी के चिन्ह समाप्त होने ही चाहिए।

पहली बार आगरा को लेकर चर्चा में नहीं है योगी आदित्यनाथ

हालाँकि ये पहला मौक़ा नहीं है, जब आगरा और ताजमहल पर योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी पर ख़ूब चर्चा हो रही है।
इससे पहले 2017 में भी ताजमहल को लेकर योगी आदित्यनाथ सुर्खियों में थे। 2017 के राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक बजट में जिन इमारतों पर ख़र्च करने का प्रस्ताव था, उसमें ताजमहल का नाम शामिल नहीं किया गया था।

उस समय राहुल गांधी ने भी योगी सरकार के फै़सले पर तंज कसा था। राहुल ने कहा था कि सूरज को दीपक न दिखाने से उसकी चमक नहीं घटती! ऐसे ही राज के लिए भारतेंदु ने लिखा था, ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’!

इतना ही नहीं अंततराष्ट्रीय मीडिया में भी इसकी जम कर आलोचना हुई थी। अमेरीका के प्रमुख अख़बार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख का शीर्षक था, क्या भारत में ताजमहल की अनदेखी इसलिए हो रही है क्योंकि उसे मुसलमान ने बनवाया है?

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योगी बोले उपहार में ताजमहल की तस्वीर नहीं बल्कि गीता और रामायण को दिया जाना चाहिए

इतना ही नहीं 2017 में ही बिहार के दौरे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भारत आने वाले मेहमानों को उपहार में ताजमहल या अन्य मीनारों का नमूना देना भारतीय सभ्यता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने ‘गीता’ और ‘रामायण’ को उपहार में देने की वकालत की थी।

प्रोफ़ेसर ने कहा-इससे कुछ नहीं, मुसलमानों को अपना दुश्मन बनाना है। 

प्रोफ़ेसर हरबंस मुखिया कहते हैं कि ये पूरा बयान राजनीति से प्रेरित है और आज की राजनीति में मुसलमानों को दुश्मन बना कर रखना है।

इसलिए ये सब कहा जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने जिस ‘ग़ुलामी’ शब्द का इस्तेमाल किया है, दरअसल वो मुग़लों के लिए नहीं बल्कि अंग्रेज़ों के लिए इस्तेमाल होना चाहिए, अपनी बात को विस्तार से समझाते हुए वो कहते हैं, “स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस बिल्कुल ख़ामोश बैठा था। ये बात सर्वविदित है। आरएसएस का कोई ऐसा नहीं था जिसे उस वक़्त गिरफ़्तार किया गया हो। 1942 में जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया था, तो वामपंथियों और आरएसएस दोनों ने अंग्रेज़ी हुकूमत का साथ दिया था।”

उन्होंने कहा कि ग़ुलाम जिन्होंने बनाया, उनसे तो दोस्ती थी और मुग़लों से नफ़रत- ये राजनीति नहीं तो क्या है,आज कोशिश इतिहास बदलने की हो रही है लेकिन ज़रूरत राजनीति बदलने की है।

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