Lockdown ने छीन लिया मंदिर में प्रसाद की दुकान लगाकर परिवार चलाने वालों की आमदनी स्त्रोत

Lockdown ने छीन लिया मंदिर में प्रसाद की दुकान लगाकर परिवार चलाने वालों की आमदनी स्त्रोत
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लखनऊ(Lockdown effect in Lucknow)– हर बार की तरह इस बार भी ज्येष्ठ मास में बड़े मंगल का आगमन हो गया है।

अमूमन तो ज्येष्ठ के ये बड़े मंगल लोगों के चेहरों पर खुशी और उनके जीवन में मंगल का पर्याय बनकर आते थे, लेकिन अबकी बार तो जैसे सब ख़त्म सा होने को है।

लोगों के चेहरों पर निराशा है। कारण कोरोना महामारी है। मंदिरों में प्रसाद बेचकर घर चलाने वालों को दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ रहे हैं।

ज्येष्ठ के बड़े मंगल पर राजधानी के अलीगंज हनुमान मंदिर में हजारों की भीड़ होती थी, लाखों लोग हनुमान जी के दर्शन को आते थे, सड़को पर भंडारे सजते थे, लेकिन एक बार फिर ये सब नहीं है।

ऐसे मंदिर के भीतर प्रसाद की दुकान लगाने वालों की जैसे दुनिया ही उजड़ गई।

उनका कहना है कि पिछले साल जब कोरोना ने दस्तक दी तो पूरे देश में एकदम से लॉक डाउन हो गया, लेकिन परिस्थितियां कुछ समय बाद सामान्य हुई तो लगा कोरोना चला गया, अब जिंदगी पटरी पर आ जायेगी लेकिन कुछ ही महीनों में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक और फिर सब बंद हो गया।

पिछली बार लॉक डाउन में जैसे तैसे घर चल भी गया लेकिन इस बार हालात एकदम बदतर हो गये हैं। बड़े मंगल पर काफी सहारा हो जाता था लेकिन मंदिर बंद होने से सारी आशा ही खत्म हो गई है।

उत्तर प्रदेश पुलिस गुंडों को रखकर कर रही है वसूली!

मंदिर में ही प्रसाद की दुकान लगाने वाले विकास जोशी हमको बताते हैं कि दुकान से ही परिवार चलता है, पर वो भी दो साल से बंद है। सरकार ने शराब के ठेके खोल दिये हैं लेकिन बड़े मंगल पर मंदिर नहीं खुलेगा।

किसी ने सोचा है भला हमारा क्या होगा हम क्या खायेंगे? बस ये कह दिया कि मंदिर नहीं खुलेगा अब ऐसे में हम क्या करें।

वहीं एक दूसरे दुकानदार राम जी शर्मा हमको बताते हैं कि 70 साल पुरानी दुकान है हमारी तीन पीढ़ियों से मंदिर में दुकान है, इसी पर पूरा घर निर्भर है। सरकार मंदिर खोलने नहीं दे रही ऐसे में हमारे परिवार का क्या होगा?

बच्चों को क्या कहकर समझाएंगे? कोई बीमार होता है तो डॉक्टर को क्या देंगे जमा पूंजी तो सब पहले ही खत्म हो चुकी और अब आगे का सहारा भी अगर बड़े मंगल पर दुकान खुल जाती थी तो ठीक ठाक आमदनी हो जाती थी, इतनी की घर चल जाये और थोड़ी बहुत बचत भी हो जाये आगे के लिये, लेकिन अभी बचना तो दूर मिलने का सहारा भी समाप्त हो गया है।

सरकार कोई वित्तीय मदद ही कर दे-

दुकानदारों का कहना है की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तो खुद एक संत हैं, वह तो हमारी पीड़ा को भली-भांति समझ सकते है। 2 साल से हमारी आजीविका का साधन एकदम बंद सा हो गया है।

ऐसे में न तो सरकार ने और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने हमारी सुध ली है, हम जिये हैं मरे हैं। आखिर है तो हम भी इंसान ही, हमारा भी परिवार है, बच्चे हैं, न कुछ हो सके तो मुख्यमंत्री जी कोई वित्तीय मदद ही करे। हम लोग ताकि परिवार तो चला सके।

मंदिर ट्रस्ट कर रहा मनमानी, नहीं चाहता हम यहाँ रहे-

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि जो मंदिर का ट्रस्ट है और उसके जो नए पदाधिकारी हैं, वह नहीं चाहते हैं कि हम यहां रहे। हमारी दुकाने 50 साल पुरानी है। ऐसे में हम जाएं तो कहां जाएं? वह तो यह चाह रहे हैं कि हम यहां से चले जाएं ताकि वो अपने चहेतों को ये दुकाने इश्यू कर सके।

संघ की विचारधारा के अनुरूप योगी आदित्यनाथ संघ के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आदर्श व्यक्ति हैं!

स्थानीय प्रशासन कर रहा है प्रताड़ित-

हम फिर कह रहे हैं कि प्रसाद की दुकान ही हमारा एकमात्र सहारा है, उसी से हमारे परिवार चलते हैं, घर की रोटी का प्रबंध होता है, हम यह भी जानते हैं कि इस समय महामारी है और ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होनी चाहिए।

हम उन सारे नियमों का पालन करेंगे, जिससे महामारी ना फैले। लेकिन हमारा धंधा भी हो सके, ऐसे में हम कुछ देर दुकान खोलना चाहते हैं लेकिन मंदिर के ट्रस्ट को यह नागवार गुजर रहा है।

उन्होंने मंगलवार को मंदिर बंद करने को कह दिया और और अब पुलिस हमें परेशान कर रही है लाठियां फटकार कर रोज दुकाने बंद करवा रही है और न करने पर चालान काटने की धमकी दे रहे हैं।

प्रशासन चाह रहा था सीमित लोगों को अनुमति देकर मंदिर खुले-

मंदिर ट्रस्ट के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर हमको बताया कि लखनऊ में ज्येष्ठ मास के बड़े मंगलो का बड़ा महत्व होता है और लोगों की हनुमान जी में अपार श्रद्धा होती है। ऐसे में स्थानीय जिला प्रशासन का मन था कि सीमित लोगों के साथ भक्तों को मंदिर आकर दर्शन की अनुमति दी जाए। प्रशासन का कहना था कि मंदिर के पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी हैं और वह चाहे तो थोड़े-थोड़े लोगों को मंदिर आने दे सकते हैं लेकिन मंदिर ट्रस्ट में सीधे तौर पर हाथ खड़े कर दिए तो ऐसे में प्रशासन ने भी मंदिर खुलवाना उचित नहीं समझा।

उत्तर प्रदेश को रामराज्य बताया गया था-

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥

ये चौपाई रामचरितमानस के उत्तरकांड में गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामराज्य की व्याख्या करते हुए लिखी है जिसका अर्थ है कि रामराज्य में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते।

सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं।

ऐसे ही साल 2017 में जब भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बनती है और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो उन्होंने अपने शासनकाल को यह कहते हुए प्रचारित किया अब उत्तर प्रदेश में राम राज्य है।

यहां सभी सुखी और चैतन्य रहेंगे, न किसी को भय होगा-न दुःख, लेकिन ये अवधारणा रामराज्य के विपरीत निकली। उत्तर प्रदेश की व्यवस्थाओं का तमाशा जिस तरह सरेआम हुआ उससे रामराज्य बदनाम हुआ। Voxy Talksy Hindi |

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