मौजूदा समय में कोरोना महामारी ने पूरे देश में तबाही मचा कर रखी हुई है। ऐसे में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े होना लाजिम है। तो लोग सरकार पर भी सवाल दागने से पीछे नहीं हट रहे हैं। वह जानना चाह रहे हैं कि आखिर 7 साल की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए कितने बेहतर कदम उठाएं गये और कार्य किये गये।
सरकार का बचाव करने के लिए इस भीषण महामारी में जब देश में चौतरफा कोहराम मचा हुआ है लाशें ही लाशें कतार बद्ध नजर आ रहे हैं तो उनके समर्थकों का कहना है की सरकार ने पूरे देश में 15 एम्स अस्पतालों का निर्माण कराया है।
क्या भृम फैलाया जा रहा है-
जब कोरोना महामारी ने पूरे देश में एक विशाल संकट के रूप में दस्तक देकर बहुत क्षति पहुचाई है। तो ऐसे में अब आम वर्ग भी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल पूछ रहा है।
सरकार के समर्थकों द्वारा डैमेज कंट्रोल करने को भृम फैला बताया जा रहा है। नरेंद्र मोदी के सात साल के कार्यकाल में कुल 14 एम्स बनाकर तैयार किये गये हैं। जबकि यह अधूरा सत्य है।
History will not judge Manmohan Singh kindly… pic.twitter.com/9ArUemPXEU
— Abhinav Prakash (@Abhina_Prakash) April 19, 2021
प्रतिष्ठित न्यूज़ एजेंसी ने ऑल्ट न्यूज़ ने इसे उजागर किया है। ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार सरकार के समर्थकों द्वारा एक वायरल सूची जिसमें बताया गया कि भाजपा सरकार में इतने एम्स बने। यह एक भ्रामक तस्वीर पेश करती है। आज तक, सात एम्स पूरी तरह से कार्य कर रहे हैं।
Antonia Maino allowed Manmohan Singh to complete only one AIIMs in 10 years of UPA. pic.twitter.com/m0M4VStJEi
— J (@Sootradhar) April 19, 2021
इसमें एम्स दिल्ली भी शामिल है। छह नए एम्स की घोषणा भाजपा सरकार ने की थी लेकिन इनके आधारशिला और निर्माण का कार्य कांग्रेस सरकार के दौरान ही हुआ था। AIIMS रायबरेली को भी कांग्रेस के शासन में स्थापित किया गया था, लेकिन इसकी ओपीडी सेवाएं भाजपा के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई थीं।
During his 10 years of subservient post of PM. Manmohan singh just managed to open 1 AIIMS that too in Italian Mata’s Constituency.
If MMS is so great let him fix CONgress states starting with horrible #COVIDEmergency in Maharashtra & Chattisgarh. pic.twitter.com/3arXiwxlVJ
— Arun 🇮🇳 (ಅರುಣ್) (@arunpudur) April 19, 2021
भाजपा सरकार द्वारा 15 अन्य एम्स की घोषणा की गई थी लेकिन वे आंशिक रूप से कार्यात्मक हैं या निर्माणाधीन हैं।
कहां से आई AIIMS निर्माण की परिकल्पना-
पंडित नेहरु की सरकार देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री अमृत कौर के नेतृत्व में 1956 में देश में पहला एम्स स्थापित किया गया था। तब से, अब तक कुल छह नए एम्स को कार्यात्मक बनाया गया है।
साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि करना था।
साल 2003 में ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से फिर यह घोषणा की कि प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए छः एम्स का निर्माण किया जाएगा।
ये एम्स राजधानी दिल्ली के एम्स की तरह होंगे और इन्हें अगले तीन वर्षों में देश के अलग अलग पिछड़े राज्यों में स्थापित किए जाएगा। लेकिन वाजपेयी सरकार घोषणा करने के नौ महीने बाद सत्ता से बाहर हो गई।
साल 2004 में UPA के नेतृत्व कॉंग्रेस पार्टी की सरकार का गठन हुआ और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। और यह छह अस्पताल यूपीए के शासन में स्थापित किए गए थे।
2011 में द न्यू इंडियन एक्सप्रेसप्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया, “एनडीए सरकार ने इस पहल को केवल चुनाव-उन्मुख माना, और अक्टूबर 2003 और मार्च 2004 के बीच भूमि के सही तरीके से हस्तांतरण के बिना आधारशिला रखने की सामान्य होड़ के साथ आगे बढ़ी।
मनमोहन सिंह के सत्ता में आने के बाद, मार्च 2006 में एम्स निर्माण प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली,और देश के विभिन्न राज्यों के शहरों में भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के प्रथम चरण के तहत ये छह नए एम्स स्थापित किए गए ।
PMSSY की वेबसाइट बताती है कि इन AIIMS में नियमित MBBS बैच की शुरुआत साल 2012 में UPA 2 की सरकार के दौरान शुरू हो चुकी थी, जबकि Regular नर्सिंग पाठ्यक्रम 2013 में शुरू हुए।
बने हुए संस्थान अभी पूरी तरह से कार्यात्मक नहीं-
यह अलग बात है कि संस्थान चरणबद्ध तरीके से विकसित किए गए थे, यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों के तहत काम किया गया था। उदाहरण के लिए, मेडिकल कॉलेज और आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) सेवाओं को एम्स भोपाल में 2013 में शुरू किया गया था, जबकि इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) और निजी वार्डवार क्रमशः 2014 और 2017 में उद्घाटन किए गए थे।
2019 में CAG की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नए AIIMS में अभी भी ढांचागत विकास लंबित है, जो कि अभी तक “AIIMS, दिल्ली के रूप में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान” के रूप में पूरी तरह कार्यात्मक नहीं है।
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वर्तमान समय में बिहार के बक्सर से सांसद और नरेंद्र मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने देश में एम्स संस्थानों की स्थिति पर सवालों के जवाब देते हुए, पिछले साल कहा था, “22 एम्स की घोषणा की गई है, जो कि PASSY के तहत स्थापित किए जाने की घोषणा की गई है”।
छह (06) एम्स यानी भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश कार्यात्मक हैं। अन्य 16 एम्स उनके निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।