रघुवंश बाबू की वो आखिरी भावुक चिट्ठी फिर लालू का उतना ही संयमित जवाब औऱ फिर उनका चले जाना।

अच्छे और बुरे दोनों ही दौर में राजद सुप्रीमो के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की कुछ महीने पहले पार्टी से तब अनबन हो गयी।

रघुवंश बाबू की वो आखिरी भावुक चिट्ठी फिर लालू का उतना ही संयमित जवाब औऱ फिर उनका चले जाना।
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पटना- पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज राजनेता रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh Death) ने जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नाम से अपनी आखिरी चिट्ठी लिखी तो उसमें उनका दर्द साफ दिख रहा था।

उनके एक करीबी ने बताया भी था कि जब वे अपना इस्तीफा लिख रहे थे तो उनके आंखों से आंसू निकल रहे थे। कांपते हाथों से लिखी चिट्ठी और महज 38 शब्दों के संदेश के साथ उन्होंने RJD के साथ अपना 32 साल पुराना नाता तोड़ दिया।

उन्होंने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को संबोधित करते हुए लिखा, जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं। पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजनों ने बड़ा स्नेह दिया। मुझे क्षमा करें।

रघुवंश और लालू समझते थे एक दूसरे का व्यक्तित्व

गौरतलब यह है उनकी लिखी चिट्ठी महज 38 शब्दों की टूटे फूटे शब्दों से भरा महज कागज का टुकड़ा नहीं था, बल्कि उनके पूरे राजनीतिक-सामाजिक जीवन के अनूठे व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाता है।

उनका राजद के लिए क्या महत्व था, यह लालू प्रसाद यादव भी भली भांति समझते थे।

तभी तो उन्होंने लिखा था कि आप शीघ्र स्वस्थ हों और ये समझ लीजिए कि आप कहीं नहीं जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने लालू की नहीं सुनी और हमेशा के लिए साथ छोड़ गए। जाहिर है उनके जाने का सबसे अधिक किसी को नुकसान होगा भी तो राजद को ही होगा।

प्रधानमंत्री मोदी व उपराष्ट्रपति ने जताया दुःख

रघुवंश प्रसाद के निधन पर दुख प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार की राजनीति में उनके जाने से एक गहरा शून्य पैदा हो गया है। वहीं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी ट्वीट करते हुए रघुवंश प्रसाद को श्रद्धांजलि दी।

साँस लेने में हो रही थी तकलीफ, काफी समय से बीमार थे

एम्स में इलाज के दौरान रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ रहे केदार यादव ने फोन पर बताया कि सिंह को सुबह करीब 11 बजे सांस लेने में कठिनाई और अन्य जटिलताओं के कारण निधन हो गया।

यादव ने बताया कि सिंह के परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। सिंह की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। उन्होंने कहा कि सिंह (74) का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए पटना लाया जाएगा।

कोरोना संक्रमण से भी हुए थे प्रभावित

इससे पहले जून में सिंह को कोरोना वायरस संक्रमित पाया गया था और उन्हें पटना के एम्स में भर्ती कराया गया था। कोविड-19 से उबरने के बाद की जटिलताओं को देखते हुए उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के एम्स में भर्ती कराया गया था।

हाल ही में बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बीच ही उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उनके पक्ष में कई बयान दिए और लालू प्रसाद की आलोचना की थी।

वेंटिलेटर पर थे रघुवंश

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को गंभीर रूप से बीमार होने पर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थे। उनके एक सहयोगी ने शनिवार को यह जानकारी दी थी।

रघुवंश प्रसाद सिंह ने बृहस्पतिवार को राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था और उसके बाद प्रसाद के चिर प्रतिद्वंद्वी एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला पत्र लिखा था जिससे उनके भावी कदमों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया।

कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने पर करीब एक सप्ताह पहले दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थाान(एम्स) में भर्ती कराया गया था।

लालू के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे

अच्छे और बुरे दोनों ही दौर में राजद सुप्रीमो के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की कुछ महीने पहले पार्टी से तब अनबन हो गयी जब, चर्चा होने लगी कि माफिया डॉन से नेता बने एवं वैशाली लोकसभा क्षेत्र में उनके प्रतिद्वंद्वी रमा सिंह के चलते उन्हें पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

मनमोहन सिंह सरकार में प्रसाद के मंत्रिमंडल सहयोगी रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने रमा सिंह को राजद में नहीं आने दिया था। उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता तो नहीं छोड़ी लेकिन वह पार्टी के रोजमर्रा के कामकाज से दूर रहने लगे। इसके लिए उनके खराब स्वास्थ्य को कारण बताया गया था।

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