लखनऊ- ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में आज नियमित शिक्षकों ने कुलपति खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
जिसके लिए शिक्षकों ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत सभागार में एक बैठक आहूत की इस बैठक का नेतृत्व विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति महरूख़ मिर्जा कर रहे थे।
सभी शिक्षकों ने सामूहिक रूप से आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया कि वह बायोमेट्रिक उपस्थिति के पक्ष में नहीं है जब तक यह व्यवस्था प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में लागू नहीं हो जाती है।
इस पूरे मामले में सभी शिक्षकों ने सामूहिक हस्ताक्षर का एक ज्ञापन कुलपति कार्यालय में सौंपा है।
भाषा विश्वविद्यालय के वर्तमान प्रभारी कुलपति विनय कुमार पाठक ने 1 दिसम्बर 2021 से बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है।
कुलसचिव कार्यालय के पत्राचार में आदेशानुसार अनुसार दिसम्बर माह से विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षकों अधिकारियों कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी।
बायोमेट्रिक व्यवस्था तो पहले से लागू कुलपति –
विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक व्यवस्था पहले से ही लागू है। इसको पूर्व कुलपति अनीस अंसारी ने ही प्रभावी बनाया था पहले कर्मचारियों और संविदा शिक्षकों पर लागू थी अब अधिकारियों और नियमित शिक्षकों पर भी यह व्यवस्था लागू होगी।
मुझे नहीं लगता इसपर किसी को विरोध होगा अगर बात संज्ञान में आयेगी तो देखेंगे। बायोमेट्रिक व्यवस्था से विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था बढ़िया होगी और अनुशासन भी बना रहेगा।
विनय कुमार पाठक
(कुलपति भाषा विश्वविद्यालय)
बायोमेट्रिक उपस्थिति कि व्यवस्था मैंने ही शुरू कराई थी। इससे विश्वविद्यालय में अनुशासन का परिवेश निर्मित होगा और शैक्षिक व्यवस्था भी सुधरेगी।
मेरे समय पर भी इसका विरोध हुआ था और अब भी हो रहा है अगर शिक्षक पूरा वेतन लेते हैं तो उनको समय से आना भी सुनिश्चित करना चाहिए। जबतक शिक्षक ही अनुशासन को परिभाषित नहीं करेंगे तो छात्रों से कैसे उम्मीद की जा सकती है ?
अगर विनय पाठक जी ने पुरानी व्यवस्था को पुनः शुरू किया है तो मैं उनको धन्यवाद प्रेषित करता हूँ, यह विश्वविद्यालय के हित में उचित कदम है।
अनीस अंसारी (रि.आईएएस)
पूर्व कुलपति (भाषा विश्वविद्यालय)