Lucknow Madiyaon News: एक तरफ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ बेहतर पुलिसिंग और अच्छी प्रशासनिक व्यवस्था की बात कह रहे हैं। लेकिन राजधानी पुलिस के नाकारा अफसर मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के आदेशों को पलीता लगा रहे हैं।
राजधानी Lucknow में थाना Madiyaon के इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह तानाशाही पर उतारू हैं। पीड़ितों को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है लेकिन इंस्पेक्टर मड़ियांव जड़ बने हैं। आपको बताते चलें हाल ही में मनोज कुमार सिंह को इंस्पेक्टर मड़ियाव बनाया गया है इससे पहले विपिन कुमार सिंह यहां के प्रभारी निरीक्षक के तौर पर तैनात थे।
कमिश्नर की फटकार के बाद कार्यवाही में जुटी पुलिस-
दरअसल कुछ हफ्ते पहले राजधानी लखनऊ के थाना मड़ियाव में करोड़ों की ठगी का मामला संज्ञान में आया था। लोगों की शिकायत के बाद बमुश्किल पुलिस ने 406 में एफआईआर दर्ज कर ली थी लेकिन कार्यवाही के नाम पर शून्य था।
लोगों का आरोप था कि सरिता पांडे और उनके पति जितेंद्र पांडे ने अपने सहयोगी करण राठौर के साथ मिल कर समूह के नाम पर उनसे यह ठगी की है।
जय श्रीराम का नारा लगाया और धराशायी कर दिया सार्वजनिक शौचालय
एफ आई आर के बावजूद भी पुलिस करन राठौर के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं कर रही थी। कल शाम जब मामला राजधानी पुलिस के मुखिया कमिश्नर डीके ठाकुर तक पहुँचा तो उन्होंने पुलिस से तत्काल कार्यवाही कर अवगत कराने को कहा जिस पर पुलिस ने आनन फ़ानन में करन राठौर को हिरासत में लिया।
औने पौने दामों में करन राठौर को मकान रजिस्ट्री कर फरार हुए आरोपी दंपति-
दअरसल ठगी के आरोपी दंपती रातों रात अपना कीमती मकान करन राठौर को कम दामो में बेचकर फरार हो गये।ठगी के शिकार लोगों ने दंपति को भगाने में करण राठौर पर आरोप लगाया है। कल शाम करन राठौर अपने गुर्गों के साथ सरिता पांडे के मकान का ताला तोड़ उसमें घुस गया।
जब पीड़ित लोगो ने घैला चौकी इंचार्ज उपनिरीक्षक विनोद सिंह को इस बारे में सूचित किया तो उन्होंने कोई कार्यवाही करना उचित नही समझा। प्रकरण की बात उच्चाधिकारियों के संज्ञान में पहुँची तो आरोपी को हिरासत में लेकर आज जेल भेज दिया गया।
समूह के नाम पर लोगों को विश्वास में ठगी को दिया अंजाम-
बताया जा रहा है कि सरिता पांडे समूह(बीसी) चलाती थी समूह में सदस्य बनाए जाते थे। एक समूह में करीब 20 लोगों की संख्या होती थी।
बारी-बारी से सभी को प्रत्येक महीने की 1 तारीख को पैसा देना सुनिश्चित होता था।आरोपी के पास ऐसे 50 समूह थे। समूह का सदस्य समूह में प्रत्येक महीने पैसा जमा करता था।
जिनका संचालन सरिता पांडे कर रही थी। सरिता लोगों को अधिक पैसे का फायदा समझा कर उन्हें समूह का सदस्य बनाती थी। कुछ लोगो से तो सरिता ने उधार भी ले रखी थी।
अबतक करोड़ो की ठगी करने वाला ये आरोपी दम्पति फरार है, अभी तक इनका कोई पता नही चला है। आरोपी मूल रूप से जनपद हरदोई के करौंद गांव निवासी हैं, लखनऊ में भी इनके परिजन रहते हैं।
लखनऊ: बीजेपी ने विधानसभा परिषद में लगाया सावरकर का चित्र, कांग्रेस हुई हमलावर