Rakesh Tikat: आंसुओ के सैलाब को जनसमर्थन बनाने वाले राकेश टिकैत कौन हैं ?

राकेश टिकैत 1992 में कांस्टेबल के पद पर नौकरी किया करते थे। पिता का राकेश पर काफी प्रभाव था। 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था। जब  सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे।

rakesh tikat  आंसुओ के सैलाब को जनसमर्थन बनाने वाले राकेश टिकैत कौन है ?
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Rakesh Tikat: कल शाम एक ऐसी घटना घटी जिसने समूचे उत्तर प्रदेश का ध्यान अपनी ओर केंद्रित कर लिया। दरअसल बात कुछ यूं है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता राकेश टिकैत दिल्ली में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन में गाजीपुर बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुऐ फफक कर रो पड़े।

राकेश के भावुक होकर रोने का या वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया और समूची सोशल मीडिया पर राकेश टिकैत एक मसीहा बन चुके थे, जो किसानों के अधिकारों के लिए बीते 62 दिनों से दिल्ली उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर लेटे हुए हैं।

जिलाधिकारी ने आंदोलन हटाने का दिया था आदेश

 

गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने हटाने का निर्णय लिया था जिसके बाद वहां के जिलाधिकारी और एसपी को गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने का आदेश दिया गया था।

यहां पर किसानों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी इस आंदोलन को जबरन खत्म कराना चाह रही है।

दरअसल में राकेश मेरठ में सोते हुए किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर बहुत दुखी थे उसके बाद में गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों के साथ मारपीट की घटना सामने आई जिस पर राकेश टिकैत ने खुले तौर पर बीजेपी के विधायक और तमाम गुंडों के समर्थन से सरकार पर इस आंदोलन को खत्म कराने का आरोप लगाया था।

जिसके बाद राकेश टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने भावुक होकर दो टूक कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।

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राकेश टिकैत को किसानों के लिए संघर्ष करना विरासत में मिला-

Rakesh Tikatराकेश टिकैत को किसानों का साथ विरासत में मिला है। उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान नेता ही थे। ये परिवार कई दशकों से किसानों के हकों की लड़ाई लड़ता रहा है। बताया जाता है कि किसानों के अधिकारों की लड़ाई में अग्रसर रहने वाले टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं।

मध्यप्रदेश के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे। इसके साथ ही किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए भी उन्होंने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया था तो उन्हें तिहाड़ भेजा गया था।

उस समय राकेश टिकैत ने संसद भवन के बाहर ही गन्ना जला दिया था। इसके अलावा भी राकेश टिकैत किसानों की मांगों के लिए आंदोलन करते रहे हैं।

किसानों के संघर्ष से ऐसे जुड़े राकेश टिकैत-

पिता महेंद्र टिकैत की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया। इसके पीछे वजह ये है कि बालियान खाप के नियमों के अनुसार- बड़ा बेटा ही मुखिया होता है। ऐसे में नरेश टिकैत अध्यक्ष हैं, लेकिन किसान यूनियन की असल कमान राकेश टिकैत के हाथ में ही है।

सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं। नरेश टिकैत अध्यक्ष है तो वहीं राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता है।

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राकेश टिकैत की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह तीन बच्चों के पिता है। राकेश टिकैत का विवाह 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की सुनीता से हुई। तीनों बच्चों (एक बेटा दो बेटियां) का विवाह हो चुका है। राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है।

कभी दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल थे किसान नेता राकेश-

Rakesh Tikat

राकेश टिकैत 1992 में कांस्टेबल के पद पर नौकरी किया करते थे। पिता का राकेश पर काफी प्रभाव था। 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया था।

जब  सरकार ने आंदोलन खत्म करने का दबाव बनाया तो ये भी अपनी पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे। पिता महेंद्र टिकैत की मौत कैंसर से हुई थी।

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सांसदी का चुनाव भी लड़ चुके हैं टिकैत-

Rakesh Tikat

2014 में उत्तर प्रदेश की अमरोहा सीट से आरएलडी के टिकट पर राकेश टिकैत लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया था  जिसमें वह हार गए थे।

Rakesh Tikat से हमारी ख़ास बातचीत –

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