Love Shayri in Hindi
देर तक जब भी नज़रे टिकाता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
वक़्त जब भी खाली बिताता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
सिलसिला चलता ही रहता है यूं तो सवालों का जवाबों का,
सुकूं के दो पल न पाता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
उम्मीदों की कलम लेकर,हसरत की लिखावट से,
मैं तेरा चेहरा बनाता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
तुम्हारे ज़िक्र पर अब भी जुबां क्यों लड़खड़ाती है,
मैं अब भी छटपटाता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
बंद कमरे की खामोशी बहुत ही रास आती है,
मैं रोकर मुस्कराता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
वाकिफ़ हैं बख़ूबी तुमसे वो रात की चाय के प्याले,
उन्हें ज्यों होंठो से छुआता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
खुद्दारी रोक लेती है बेरुखी पे उठते जवाबों को,
चाहकर भी कह न पाता हूँ,मुझे तुम याद आते हो
रातभर टहलता हूँ अक्सर मैं कॉलेज की सड़कों पर,
आजकल बहुत तुम याद आते हो,मुझे तुम याद आते हो !!
यह भी पढ़े – अभिनेता, गायक और कवि कई खूबियों का मालिक हैं यह सितारा
Love Shayri in Hindi
इल्तज़ा इब्तिदा इज़ाज़त इल्हाम फरवरी
उफ़्फ़ तेरे कितने ही नाम फरवरी
हर लफ़्ज़ मुज़तरिब हर शख़्स मुन्तज़िर
हर शब करवटें हर उम्र ज़वान फरवरी
किसी का ज़ख़्म तो किसी का ज़श्न
कहीं संजीदा तो कहीं नादान फरवरी
दबी आँखें डरी साँसें कंपकपा लहज़ा
झिझकती वो,ठहरते हम,सताती तमाम फरवरी
इशारे-ए-गुफ़्तगू और उसमें न-नुकुर
घंटों का इंतिज़ार और गली सुनसान फरवरी
सिमटती धुंध चटकती धूप कड़कती चाय
क्यों न हो कोई तेरा ग़ुलाम फरवरी
ख़याली आस सुलगती आग पुराने ख़त
आहिस्ते लेती है कैसे जान फरवरी
धड़कते लोग बेतकल्लुफ़ मुख़ातिब हैं
बेहतरीन है वाक़ई तेरा ये काम फरवरी
क़ायनात मुसलसल संग चलना बताती है
क़ायनात की ज़ुबाँ इश्क़ और इश्क़ की ज़ुबान फरवरी
यह भी पढ़े – बेबाक ग़जलकार व युवा दिलो की आवाज़ दुष्यंत कुमार
Love Shayri in Hindi
आज बहुत मन था मेरा
तुमपे कविता लिखने का
वो नई नई दिखी हो न तुम
बस इसीलिए…
और बस वही सब
तुम ऐसी लगती हो
वैसी लगती हो
फलाना तुमसे सुंदर नही है
ढिमाका तमसे बेहतर नही है
तुममे ये ख़ूबी है
ये ख़ामी है
और ख़ामी भी मुझे पसंद है
अरे ! …
वही तवज़्ज़ो, तारीफ़ वाली बातें
वही …जो सब लिखते हैं
या लिखते होंगे
फ़िर नही लिखा
कुछ नही लिखा
कुछ भी नही लिखा
शायद ज़रूरत नही है
फ़र्ज़ी ये सब लिखने की
अच्छी लगती हो तो लगती हो
प्यार है तो है
बस
और क्या …!!
यह भी पढ़े – मोहब्बत के समंदर के दो गोताखोर अम्रता प्रीतम जी और दुष्यंत जी