आखिर दोषी कौन मरकज़ या प्रशासन ?

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बीते 24 घण्टे से दिल्ली का निजामुद्दीन चर्चा का विषय बना हुआ है, कारण कोरोना संक्रमण। राजधानी दिल्ली स्थित निजामुद्दीन तबलीग़ी जमात मरकज़ में बीते समय यानी मार्च महीने में ही एक बड़ा धार्मिक आयोजन हुआ इस धार्मिक आयोजन में देश और दुनिया से तकरीबन तीन हजार लोग शामिल हुए थे।

इसमें 19 राज्यों समेत 16 देशों के नागरिक आये हुए थे। तबलीग़ी जमात के मसले ने तूल इसलिए पकड़ी क्योंकि तेलंगाना सरकार का मानना है कि उनके यहाँ जिन नागरिकों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनमें से 6 लोग दिल्ली के निजामुद्दीन तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम से होकर लौटे थे।
वहीं इस पर दिल्ली सरकार भी हरकत में आई और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन का कहना है कि तबलीगी जमात के हेडक्वार्टर में रह रहे लोगों में 24 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है जबकि 700 लोगों को क्वारन्टीन सेंटर में रखा गया है । अन्य 335 लोगों को अस्पताल में रखा गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि जब इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था तो उस समय दिल्ली में कई जगह ऐसी धाराएं लागू थीं जहाँ 5 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते थे, फिर यहाँ आयोजन किया गया।

वहीं इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आयोजकों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कर सख्त कार्यवाही करने को कहा है साथ ही ये भी कहा कि इसमें जो भी अधिकारी दोषी हैं उन पर भी विधिक कार्यवाही की जायेगी।
वहीं अगर तबलीग़ी जमात की माने तो उनका यह कार्यक्रम साल भर पहले से प्रस्तावित था और यह टाला नहीं जा सका ।

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जब प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ़्यू की घोषणा की उसी दिन यह कार्यक्रम रोक दिया गया था। मरकज़ कमेटी का यह भी कहना है कि जनता कर्फ़्यू समाप्त होने से पहले ही दिल्ली सरकार ने अपने वहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी, सरकार द्वारा यह अवधि 23 मार्च सुबह से 31 मार्च तक बतायी गई। जिससे धार्मिक आयोजन से घर जाने वाले लोगों की संभावना और घट गई। इसके बावजूद भी मरकज़ आयोजकों ने तकरीबन 1500 लोगों को अपने जिम्मे साधन उपलब्ध करा उनको घर भेजा, इसके बाद प्रधानमंत्री के सम्पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा पर यह समय तीन सप्ताह और बढ़ गया।

इस वजह से लोग अपने घरों को नही जा सके और वह मरकज़ में ही ठहर गए। मरकज़ कमेटी ने अपनी ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा है कि ऐसे लोगो की संख्या तकरीबन 1000 है।

ये पूरा मामला जब दिल्ली पुलिस के पास पहुंचा तो उन्होंने 24 मार्च को मरकज़ बंद करने का नोटिस भेजा। तबलीग़ी जमात ने कहा कि उन लोगों ने दिल्ली पुलिस को नोटिस का जवाब उसी दिन दिया और बताया कि आयोजन बन्द कराया जा चुका है लेकिन 1500 लोग घर जा चुके हैं और 1000 लोग अभी भी यहाँ फँसे हुए हैं। इस पत्र के साथ स्थानीय प्रशासन से मीटिंग हुई और जिलाधिकारी से भी मिले और यह कहा कि इन्हें भिजवाने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था और कर्फ्यू पास के लिए कहा गया।

28 मार्च को एसीपी लाजपत नगर के द्वारा कार्यवाही का एक नोटिस फिर मरकज़ को मिला जिस पर उन्होंने 29 मार्च को जवाब भी भेजा और 30 मार्च को मामला सार्वजनिक हो चुका था।

तबलीगी जमात मरकज़ एक गैर-राजनीतिक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक आंदोलन है। 1927 में भारत के मेवात में इसकी स्थापना मुहम्मद इलियास- अल कंधलावी द्वारा की गई। इस समय इस्लाम के सबसे प्रभावशाली आंदोलनो में यह एक है जो लोगो को नेकी परस्त होने और धर्म के प्रति ईमानदार होने की प्रेरणा प्रदान करता है।

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