द ग्रेट डिप्रेशन 1929 की हकीक़त: अर्थ,कारण एवं प्रभाव

90 साल पहले एक आर्थिक महामंदी यानी "द ग्रेट डिप्रेशन'' पूरे विश्व में छा गई थी। जानें इस द ग्रेट डिप्रेशन अर्थ,कारण एवं प्रभाव

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लगभग 90 साल पहले एक आर्थिक महामंदी यानी “द ग्रेट डिप्रेशन” पूरे विश्व में छा गई थी। लाखों करोड़ो लोग उस समय ग्रेट डिप्रेशन में चले गए थे। इस ग्रेट डिप्रेशन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वर्ष 1923 में अमेरिका का शेयर बाज़ार चढ़ना शुरू होता गया, परंतु 1929 तक आते-आते वह डूबने लगा।

द ग्रेट डिप्रेशन का अर्थ:

ग्रेट डिप्रेशन यानी महामंदी जो सन 1929 से 1939 तक विश्वभर में फैली आर्थिक मंदी को कहा जाता है । विश्व के इतिहास में यह सबसे बड़ी मंदी थी।

इस समय के दौरान कई लोग बेरोज़गारी और भुखमरी का शिकार हुए। राशन की दुकानों के बाहर दाने-दाने के लिए लंबी लाईने लगा करती थी।

कारण: ग्रेट डिप्रेशन की शुरुआत अमेरिका में शेयर मार्किट गिरने से हुई जिसकी वज़ह से लोगों ने अपने खर्चे कम कर दिए इससे मांग प्रभावित हुई।

इसके अलावा बैंको का भी दिवाला निकल गया कई बैंको ने पैसे का लेन-देन रोक दिया।

लोगो ने ख़रीदारी बंद कर दी, कई लोगों की नौकरियाँ भी जाने लगी।

प्रभाव:

  1. ग्रेट डिप्रेशन का पूरी दुनिया पर बहुत ही बुरा असर हुआ| लोग 10 साल तक भूखे मरते रहे|
  2. फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिआ,कनाडा जैसे देशों पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।
  3. इस महामंदी से भारत देश भी नहीं बच पाया| उस समय भारत अंग्रेज़ो का शिकार था और अंग्रेज़ो ने इस ग्रेट डिप्रेशन की भरपाई भारतीय लोगो से करना शुरू कर दिया।
  4. अंग्रेज़ो ने छोटी-मोटी चीज़ो के दाम भी काफ़ी हद तक बढ़ा दिए, भारत के लोग वैसे ही गरीब थे इसके चलते वे और गरीब हो गए|
  5. साथ ही साथ भारतीयों से उनकी ज़मीन भी छीनी जानी शुरू कर दी। भारत की स्तिथि को और ख़राब कर दिया गया।
  6. उस समय अमेरिका के 26 प्रतिशत और इंग्लैंड के 27 प्रतिशत के मुकाबले भारत की महंगाई 36 प्रतिशत बढ़ गयी थी। आर्थिक मंदी पर अंग्रेज़ों की नीतियों के कारण भारत में तरह तरह के विद्रौह होने लगे।
  7. जिसकी वजह से अंग्रज़ों को आंदोलकारियों की कुछ बातें माननी पड़ी। जिसमें से एक थी – पूरे भारत में एक केंद्रीय बैंक की स्थापना।
  8. अंग्रेज़ों ने इस मांग को ध्यान में रखते हुए साल 1935 में भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की।

द ग्रेट डिप्रेशन पर फिल्में एवं पुस्तकें

फिल्में:

  • हार्ड टाइम्स
  • गोल्ड डिगर्स ऑफ 1933
  • इट इज ए वंडरफुल लाइफ
  • क्रेडल विल रॉक
  • द पर्पल रोज ऑफ काइरो

पुस्तकें: महामंदी पर कई किताबें लिखी गईं। इनमें सबसे प्रसिद्ध हुई जॉन स्टीनबेक लिखित ‘द ग्रेप्स ऑफ राथ’ जो 1939 में प्रकाशित हुई थी।

इसे साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी मिला। उसी दौर में आईं पुस्तकें द ग्रेट डिप्रेशन (एलॉन बर्शेडर), ऑफ माइस एंड मैन (जॉन स्टीनबेक), टु किल ए मॉकिंगबर्ड (हार्पर ली) भी महामंदी को प्रस्तुत करती हैं।

इसी विषय पर मार्ग्रेट एटवुड के उपन्यास ‘द ब्लाइंड असेसिन’ को 2000 में बुकर पुरस्कार मिला। दो साल पहले डेविड पॉट्स ने ‘द मिथ ऑफ द ग्रेट डिप्रेशन’ किताब लिखी।

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ग्रेट डिप्रेशन का अंत कुछ इस प्रकार हुआ:
  1. अमेरिका को इस मंदी से निकालने का श्रेय, वहाँ के राष्ट्रपति “रूजवेल्ट” को जाता है।
  2. रूजवेल्ट 1933 में अपने इस वादे से अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने कि वो अमेरिका को महामंदी से निकालकर रहेंगे।
  3. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने न्यू डील घोषणा की। जिससे अमेरिका की आर्थिक स्थिती में सुधार आने लगा।
  4. राष्ट्रपति रूजवेल्ट की न्यू डील नियमों और कानूनों का एक कॉन्ट्रैक्ट था।
  5. जिसमें मज़दूरों की मज़दूरी तय की गई और काम के घंटे भी। इस प्रकार धीरे-धीरे महामंदी का असर कम होता गया।
  6. महामंदी का अंत 1939 में दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होने के साथ हुआ। दूसरे विश्व युद्ध की वजह से कई सारे लोगों को काम मिला।
  7. जिसकी वजह से मंदी खत्म होती गई। दूसरा विश्व युद्ध शूरु होने के बड़े कारणों में से एक महामंदी था।

 

 

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