जानें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और 13 नंबर का संबंध

आज हम बात करने वाले हैं भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में जो अब हमारे बीच नहीं है, आज जानेंगे उनके जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक बातें

जानें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और 13 नंबर का संबंध
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आज हम बात करने वाले हैं भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में

जो अब हमारे बीच नहीं है, आज जानेंगे उनके जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक बातें

जब वह 40 वर्ष के हुए तब से ही अपनी जिंदगी की हर एक पहलू को लिखने लगे थे।

प्रवण दा को किताबें पढ़ना बहुत पसंद था, और वो एक साथ तीन किताबें पढ़ सकते थे।

राजनीति में आने से पहले वह एक कॉलेज में शिक्षक थे।

लेकिन प्रवण दा की हिंदी कमजोर थी।

वे दिन में 18 घंटे काम करते थे और कभी-कभी पूरी रात काम करते रहते थे।

दिलचस्प तथ्य यह है कि वह दो बार वित्त मंत्री बने और पहले और दूसरे कार्यकाल के बीच 25 सालों का अंतराल था।

आमतौर पर इतने लंबे समय में कई राजनेताओं का करियर ही समाप्त हो जाता है, लेकिन वह इंदिरा गांधी की कैबिनेट में जनवरी 1982 से दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री रहे और उसके बाद फिर जनवरी 2009 से जून 2012 तक जिम्मेदारी संभाली।

वह देश के ऐसे पहले फाइनेंस मिनिस्टर थे।

जिन्होंने उदारीकरण के पहले भी देश के खजाने को संभाला और फिर उसके करीब 18 साल बाद एक बार फिर से वित्त मंत्री बने थे।

दशकों तक राजनीति करने वाले प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे थे।

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नंबर 13 से अजब रिश्ता रहा प्रवण दा का रहा है।

उनका 13 से अनोखा नाता रहा है।

वे 13 वें राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे।

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इतना ही नहीं 13 जून को ही ममता ने प्रणब का नाम उछाला था।

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वह अगले जन्म में राष्ट्रपति बनना चाहते थे लेकिन उनकी बहन ने कहा तुम इसी जन्म में बनोगे राष्ट्रपति

जब 1969 में प्रणब राज्यसभा के सदस्य बने तो उनका आधिकारिक घर राष्ट्रपति संपदा के पास ही था. राष्ट्रपति भवन के ठाठ को प्रणब खूब निहारा करते थे।

एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्गी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे. लेकिन तब उनकी बहन ने उन्हें कहा था – ‘इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में तुम्हें इसमें रहने का मौका मिलेगा.’

बचपन से ही वे जिद्दी स्वभाव के थे

प्रणब मुखर्जी के जो तेवर हम सभी दिखते थे वही तेवर बचपन में भी दिखते थे. अपनी जिद्द के चलते उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान डबल प्रोमोशन पाया।

दरअसल दूसरी कक्षा में उन्होंने अपने परिवार वालों से मिराती गांव के स्कूल जाने से इंकार कर दिया. वह किरनाहर स्थित स्कूल में प्रवेश पाना चाहते थे. किरना हर स्थित स्कूल पांचवी कक्षा से था।

ऐसे में प्रणब ने किरनाहर के स्कूल में सीधे पांचवीं कक्षा में प्रवेश पाने के टेस्ट दिया और उसे पास भी करके भी दिखाया।

प्रणब दा चाकलेट खाना खूब पसंद करते थे और चाचा चौधरी की कॉमिक्स भी खूब पढ़ना पसंद करते थे
वे चाचा चौधरी कॉमिक्स के फैन थे ।

सुकांत भट्टाचार्य का लिखा और हेमंता मुखर्जी का गाया ‘अबक पृथ्बी’ उनका पसंदीदा गीत था।

ऐसे थे हमारे भारत के 13 वे राष्ट्रपति

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