आज इन्टरनेट का ज़माना है। कोरोना संकट के बाद तो शायद इंटरनेट पर और भी ज्यादा लोग ख़बरें आदि जानने के लिए बने रहते हैं। वैसे इंटरनेट को प्रयोग करने वालों की संख्या में विस्फोटक इज़ाफ़ा रिलायंस जिओ के आने के बाद हुआ। इंटरनेट पढ़ने व सीखने का एक शसक्त माध्यम है पर उतना ही बड़ा माध्यम यह भ्रामक ख़बरें फ़ैलाने का भी है। फेक न्यूज़ कई बार आग की तरह फैलती हैं, लेकिन कई बार फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाले और कोई नहीं पर प्रमुख मीडिया हाउस होते हैं। ताज़ा मामला ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश उत्तराखंड द्वारा किये गए एक फ़र्ज़ी ट्वीट से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने यह दवा किया था कि फ़िरोज़ाबाद में तब्लीग़ी जमात को लेने गयी मेडिकल टीम पर पथराव हुआ। गौरतलब है फ़िरोज़ाबाद पुलिस ने इसको असत्य व भ्रामक बताया और तत्काल इसको हटाने को कहा। आप नीचे वह ट्वीट देख सकते हैं।
आपके द्वारा असत्य एवं भ्रामक खबर फैलायी जा रही है जबकि जनपद फिरोजाबाद में न तो किसी मैडीकल टीम एवं न ही एम्बूलेंस गाडी पर किसी तरह का पथराव नहीं किया गया है । आप अपने द्वारा किये गये ट्विट को तत्काल डिलीट करें ।
— Firozabad Police (@firozabadpolice) April 6, 2020
फ़िरोज़ाबाद पुलिस की फटकार के बाद वह ट्वीट हटाया तो जा चुका था मगर इसके पहले काफी लोगों ने उस ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट या फोटो ले ली थी।
बताओ pic.twitter.com/0CImgFPGVA
— डॉ गुलाटी (@DrMGulatii) April 6, 2020
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ज़ी न्यूज़ पर पहले भी लगे हैं ऐसे आरोप !
हालांकि ज़ी न्यूज़ हमारे देश के कुछ सबसे पहले निजी समाचार चैनलों में से है जिसका इतिहास बहुत अच्छा रहा है, पर पिछले कुछ समय से इनपर भ्रामक ख़बरें फ़ैलाने का आरोप लगाया जाता रहा है।
2000 की नोट में चिप लगे होने का दावा
8 नवम्बर 2016 को जब भारत में नोटबंदी का एलान हुआ था और 1000 के नोटों की जगह 2000 के नोटों ने ली थी, तब ज़ी न्यूज़ ने यह दावा किया था कि इन नोटों में एक चिप लगी होगी। कई समाचार पत्रों ने उस पोस्ट को आज भी अपनी वेबसाइट से नहीं हटाया है।
मीडिया या प्रेस किसी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, इसका काम होता है बाकी तीन स्तंभों को सचेत करते रहना।
यदि आप सच में इस देश से प्यार करते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए
कि फेक न्यूज़ के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों की सराहना करिये
और उनकी आवाज़ को आगे बढ़ाएं।
आगे की राह !
भारत एक विकास शील देश है जहाँ शिक्षा और जागरुकता को बहुत बढ़ावा देने की ज़रूरत है। कई लोग तथ्यों को जाँचने में बिलकुल असमर्थ हैं, लेकिन जिम्मेदार लोग जो तथ्यों को जानते हैं, उनका फ़र्ज़ बनता हैं ऐसी भ्रामक ख़बरें रोकना।
फ़िरोज़ाबाद पुलिस ने भी ऐसा ही किया जिसकी हमको सराहना करनी चाहिए।
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