लखनऊ भारत का ग्यारहवां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और बारहवां सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समूह है और लखनऊ के मध्य में बसा है हज़रतगंज। बाजारों के अलावा, इसमें शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रेस्तरां, होटल, सिनेमाघर और कार्यालय शामिल हैं।
1827 में तब के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने हज़रतगंज की नींव रखी । इसको चीन, जापान व बेल्जियम जैसे देशों के सोने की वस्तुएँ बेचने के लिए बसाया गया था । बाद में 1842 में, नवाब अमजद अली शाह के नाम पर इसका नाम बदलकर हजरतगंज कर दिया गया था, क्योंकि उनका उपनाम ‘हजरत’ था।
अंग्रेजों ने 1857 में इसको लंदन की ‘क्वीन सड़क’ की तरह बसाया हालांकि इसकी वजह से मुग़ल शैली की कई इमारतों को ध्वस्त करके यूरोपीय शैली की इमारतें निर्मित की गयीं।
आज का जी॰ पी॰ ओ॰ पहले क्या था ?
आज का जी॰ पी॰ ओ॰ पहले रिंग थिएटर था । ब्रिटिश अधिकारियों के लिए यह एक बॉल रूम था। यहाँ वह रंग मंच के जरिये मनोरंजन किया करते थे। गौर करने वाली बात यह है कि इसमें भारतियों का प्रवेश निषेध था ।
इंडियन कॉफी हाउस (आईसीएच)
यह प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान खुला। 1920 के दशक में, यह स्थान पत्रकारों, लेखकों, व अन्य बुद्धिजीवियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं था। आप आज भी यहाँ कॉफी पी सकते हैं । यहाँ डॉ राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेपी, चंद्रशेखर से लेकर याशपाल, अमृत लाल नगर, भगवती चरण वर्मा और आनंद नारायण मुल्ला आदि ने अपना वक़्त बिताया है ।
200 साल होने पर नवीनीकरण
2010 में हज़रतगंज के 200 साल होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इसका जीर्णोद्धार किया। इसके बाद इसको पुरानी और नयी शैली के समागम से एक बेहतरीन जगह में परिवर्तित कर दिया था । इसमें विक्टोरियन ज़माने की लाइटें, फ़व्वारे, नयी बेंचें आदि लगाई गयी व सभी दुकानों को एक ही रंग में किया गया तथा सबके साइन बोर्ड एक जैसे रंग के कराये गए थे ।
हज़रतगंज चौराहे के पास कुछ महत्वपूर्ण स्थान :
-कम्प्यूटर मार्केट नाज़ा हज़रतगंज से करीब 700 मीटर दूर है ।
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-परिवर्तन चौक हज़रतगंज से करीब 2 किलोमीटर दूर है।
-मुख्यमंत्री आवास हज़रतगंज चौराहे से करीब 1.5 किलोमीटर दूर है।
-लखनऊ का चिड़ियाघर हज़रतगंज चौराहे से 650 मीटर की दूरी पर है ।
-बड़ा इमामबाड़ा व विश्व प्रसिद्ध रूमी दरवाज़ा हज़रतगंज से करीब 5 किलोमीटर दूर है।
-लगभग इतनी ही दूरी आपको लखनऊ के मेडिकल कॉलेज पहुँचने के लिए भी तय करनी पड़ेगी ।
-विधान सभा हज़रतगंज से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है
हज़रतगंज चौराहे के पास ही बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर की और महात्मा गांधी की प्रतिमाएँ भी हैं जो कि धरना प्रदर्शन और आंदोलनों के लिए प्रमुख स्थान रहे हैं , हालांकि तत्कालीन योगी सरकार ने यहाँ पर किसी भी तरह के जमवाड़े को प्रतिबंधित कर दिया है ।