लखनऊ के दिल कहे जाने वाले हजरतगंज की एक एतिहासिक ईमारत सिब्तैनाबाद के इमामबाड़े का एक गेट आज दोपहर अकस्मात गिर पड़ा। यह तो लखनऊ वालों की खुशकिस्मती थी कि कोरोना वायरस के चलते शहर लॉकडाउन है. वरना यहाँ किसी के हताहत होने की काफी संभावनाएं थीं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ए.एस.आई.) और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही की वजह से गिरा ऐतिहासिक इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद का मेन गेट ?
सिब्तैनाबाद इमामबाड़े के मुतव्वली (ट्रस्टी) मोहम्मद हैदर रिज़वी के मुताबिक इमामबाड़े के गेट पर एक निजी रेस्त्रां जिसका नाम मार्क्समैन है, ने रसोईघर बना रखा था।
रिज़वी जी का यह भी कहना है कि स्थानीय प्रशासन जैसे नगर निगम, एलडीए व ए.एस.आई. (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) को कई बार पत्राचार द्वारा इस मामले के शिकायत भी करी गयी थी फिर भी किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई थी। यह इमारत 1919 से एएसआई द्वारा संरक्षित है।
सिब्तैनाबाद इमामबाड़े का इतिहास
इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद नवाबों द्वारा बनवाया गया था। यह अवध के अंतिम बादशाह वाजिद अली शाह के पिता अमजद अली शाह का मक़बरा भी है। जिस इलाके में यह इमामबाड़ा है, वह लख्नऊ के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक हज़रतगंज में है। यदि यह हादसा आम दिनों में होता तो यकीन मानिये यहाँ पर जान माल का नुक्सान होना तय था।
यह भी पढ़ें : जानें क्यों कहते हैं हज़रतगंज को लखनऊ का दिल
इस परिसर को कुछ समय तक अंग्रेजों ने एक चर्च और छावनी के तौर पर भी इस्तेमाल किया था, यही कारण है कि आज भी यहाँ कुछ इसाई परिवार रहते हैं। यहाँ मुहर्रम के अतिरिक्त मजलिसों और अन्य धार्मिक कार्यों को भी कराया जाता रहा है।
ऊपर दी गयी तस्वीर में आप देख सकते हैं लॉकडाउन की वजह से अगल बगल की दुकानें बंद थीं. आपको बता दें जिस जगह यह हादसा हुआ है वहां से मुख्यमंत्री आवास, विधान सभा, के डी सिंह बाबू स्टेडियम, परिवर्तन चौक जैसी इमारतें कुछ ही मिनटों की दूरी पर हैं। आपको क्या लगता है कौन है इस हादसे का जिम्मेदार ? हमें कमेंट करके बतायेँ।