जब दुनिया के एक धड़े ने फ्रांस के साथ बगावत कर रखी है तब भारत उसके साथ खड़ा है!

गुरुवार को फ़्रांस के नीस शहर के एक चर्च में एक शख़्स ने चाक़ू से हमला किया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर निंदा की।

जब दुनिया के एक धड़े ने फ्रांस के साथ बगावत कर रखी है तब भारत उसके साथ खड़ा है!
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इन दिनों फ्रांस को लेकर कई अरब देशों समेत तुर्की ने भी फ्रांस के प्रोडक्ट खरीद को लेकर बहिष्कार किया हुआ है। इस्लामी चरमपंथ पर कड़े रुख और पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों का बचाव करने को लेकर विभिन्न मुस्लिम बहुल देशों की आलोचना का सामना कर रहे इस समय फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो हैं।

गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को पेरिस में एक फ्रांसीसी शिक्षक की दिनदहाड़े सिर कलम कर हत्या कर दी गई थी, जो अपने छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखा रहे थे।

22 अगस्त 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़्रांस के दौरे पर थे। साझा प्रेस वार्ता चल रही थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से सवाल पूछा।

जवाब में उन्होंने कहा, “फ़्रांस इस बात पर नज़र बनाए हुए है कि नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ़ आम नागरिकों के अधिकार और हितों की अनदेखी ना हो।”इसी मौक़े पर उन्होंने ये भी कहा कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी से बात हुई है। मैक्रों का कहना था कि भारत और पाकिस्तान को ये बात ज़िम्मेदारी से समझनी होगी।

मैक्रों ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दोनों देशों को आपसी बातचीत से अपने मतभेद दूर करने चाहिए और वे यही बात पाकिस्तान के लिए भी कहेंगे।

इस समय भारत, जर्मनी, इटली और नीदरलैंड्स जैसे यूरोपीय देश भी फ़्रांस के साथ मज़बूती से खड़े हैं-

गुरुवार को फ़्रांस के नीस शहर के एक चर्च में एक शख़्स ने चाक़ू से हमला किया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर निंदा की।

इसके बाद अमरीका, ब्रिटेन और रूस के भी बयान सामने आए हैं। फ़्रांस में इस्लाम को लेकर चल रहे ताज़ा विवाद पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने फ़्रांस के राष्ट्रपति का खुल कर समर्थन किया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, “अंतर्राष्ट्रीय वाद-विवाद के सबसे बुनियादी मानकों के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ़ अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की हम निंदा करते हैं।

हम साथ ही क्रूर आतंकवादी हमले में फ़्रांसीसी शिक्षक की जान लिए जाने की भी निंदा करते हैं। हम उनके परिवार और फ़्रांस के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के समर्थन का कोई औचित्य नहीं है।

आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ़्रांस और भारत एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं, इमैनुअल-

फ़्रांस के राजदूत इमैनुएल लीनैन ने ट्वीट कर भारतीय विदेश मंत्रालय का शुक्रिया अदा करते हुए कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में फ़्रांस और भारत हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं।

जब कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दे पर फ़्रांस खुल कर भारत का समर्थन नहीं करता, तो फिर फ़्रांस में जो कुछ हो रहा है, उस पर भारत फ़्रांस का साथ क्यों दे रहा है? भारत के इस समर्थन पर फ़्रांस की मीडिया में कोई ख़ासा असर देखने को नहीं मिला है।

भारत के इस समर्थन को फ़्रांस में बहुत ज़्यादा अहमियत नहीं दी गई है। इसके पीछे कई कारण है। पहला तो ये कि बुधवार को कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से फ़्रांस में लॉकडाउन का ऐलान किया गया। जनता और मीडिया का ध्यान उस ख़बर पर ज़्यादा था।

दूसरी तरफ़ ‘इस्लामोफ़ोबिया’ को लेकर फ़्रांस में बहस तो चल रही है, लेकिन ऐसा देश (भारत) जहाँ की धर्मनिरपेक्षता को फ़्रांस अपनी धर्मनिरपेक्षता जैसा नहीं मानता, उससे इस मुद्दे पर समर्थन से मैक्रों बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते। यही वजह है कि फ़्रांस कश्मीर के लोगों के मानवाधिकार के मुद्दे पर आवाज़ उठाता रहा है।

भारत हमेशा अंतर्रष्ट्रीय स्तर पर ये तर्क देता रहा है कि वो ‘आतंकवाद’ के सबसे पीड़ित देशों में से एक है। इसलिए अगर फ़्रांस या अन्य देशों में इस तरह के हमले होते हैं, तो भारत का खुलकर सामने आने की बात समझ में आती है।”फ़्रांस के समर्थन में उतरने की भारत के पास कई वजहें हैं।

ये दिखाता है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत का रुख़ क्या है। ज़रूरत के समय भारत अपने दोस्त फ़्रांस के साथ खड़ा है। लेकिन इसके पीछे एक वजह ये भी है कि दोनों को चीन के ख़िलाफ़ एक दूसरे की ज़रूरत है।

भारत चीन के ख़िलाफ़ यूरोपीय देशों से समर्थन जुटाने में लगा है। दूसरा तरफ़ चीन जिस तेज़ी से विश्व में अपने प्रभुत्व का विस्तार कर रहा है, यूरोपीय देश उसे मानवाधिकारों और दूसरे मूल्यों के ख़िलाफ़ देखते हैं।

फ्रांस ने भारत का समर्थन कब-कब किया-

फोटो सोर्स – dailyhunt

1998 के परमाणु परीक्षण का वक़्त “उस समय जब दुनिया के ज़्यादातर देशों ने भारत का साथ छोड़ दिया था, तब भारत को फ़्रांस से सबसे ज़्यादा मदद मिली थी। फ़्रांस ने उस वक़्त दो टूक शब्दों में कहा था कि एशिया में कोई देश हमारा पार्टनर है, तो वो भारत है।

और उनका यही स्टैंड आज तक क़ायम है।”11 मई 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में पोखरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था। उसके बाद भारत पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए। उस संकट की घड़ी में फ़्रांस ने भारत का साथ दिया था।”

“1982 में तारापुर न्यूक्लियर प्लांट के लिए अमरीका ने यूरेनियम की सप्लाई बंद कर दी थी, उस वक़्त भारत को रूस से भी मदद नहीं मिली थी और फ़्रांस ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया था।

“भारत और फ़्रांस के बीच अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भी काफ़ी साझेदारी है। सब-मरीन बनाने में भी फ़्रांस भारत की मदद कर रहा है।

फ़्रांस पहला देश था, जिसने कहा था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनना चाहिए। रूस, अमरीका और ब्रिटेन के कहने से बहुत पहले फ़्रांस ने अपना पक्ष सामने रखा था।

चीन से सीमा तनाव के बीच जिस रफ़ाल के आने से भारत में ख़ुशी की लहर है, वो लड़ाकू विमान भी भारत ने फ़्रांस से ही ख़रीदा है। दोनों देश इंटरनेशनल सोलर एलायंस का हिस्सा भी हैं। ये तमाम उदाहरण बताते हैं कि भारत और फ़्रांस के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं।

भारत फ्रांस के रिश्तो को लेकर आकलन-

भारत और फ़्रांस के रिश्तों को एक लाइन में समझे तो, “दोनों देशों के बीच मज़बूत दोस्ती है और समय-समय पर जब भी इसे जाँचा-परखा गया, हर बार ये बात सही साबित हुई है।” रही बात ये कि फ़्रांस के राष्ट्रपति कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा क्यों उठाते हैं?

इसका जवाब है “फ़्रांस के सेक्युलरिज़्म की अपनी एक परिभाषा है, जिसके तहत कोई भी धार्मिक प्रतीक का प्रयोग पब्लिक में नहीं किया जाता। फ़्रांस में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग ईसाई हैं, लेकिन वहाँ धर्मनिरपेक्षता की इस परिभाषा को पूरी तरह से लागू किया जाता है। अगर वो हिजाब के लिए मना करते हैं तो क्रिश्चियन क्रॉस के लिए भी मना करते हैं। लेकिन भारत में सेक्युलरिज़्म अलग तरह का है। दोनों देशों में धर्मनिरपेक्षता की समझ अलग है।”

भारत और फ़्रांस दोनों देशों के बीच व्यापार-

जिन देशों में प्रधानमंत्री मोदी ने एक से ज़्यादा बार दौरा किया है, उनमें फ़्रांस भी एक है। फ़्रांस स्थित भारतीय फ़्रांस दूतावास के मुताबिक़ भारत और फ़्रांस के बीच वर्ष 2019 में 11.59 बिलियन यूरो का कारोबार हुआ था।

भारत फ़्रांस के बीच निर्यात ज़्यादा है और आयात कम है। लेकिन पिछले सालों में दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे में लगातार कमी आ रही है। भारत जो सामान फ़्रांस को निर्यात करता है, उनमें कॉटन के कपड़े और ड्रेस अहम हैं।

फ़्रांस जो सामान भारत को बेचता है, उनमें कीटनाशक, टीका बनाने के लिए दवा और दूसरे तरह के मेडिकल और केमिकल सामान शामिल है। इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच कई स्तर पर समझौते और निवेश भी हुए हैं। यही वजह है कि कोविड-19 के दौर में भी भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला फ़्रांस पहुँचे हैं।

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