क्या आप जानते हैं ? डॉ अम्बेडकर की ये बातें जिसने भारत की तक़दीर बदल दी

B.R._Ambedkar
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”बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए” ये शब्द भारत के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के हैं जिन्होंने आधुनिक भारत की नीव रखी। इस लेख में हम उन तथ्यों पर बात करने वाले हैं जिसे हम लोगो से छुपाया गया या यह कहा जाये कि बताया नहीं गया। आज के नवयुवक को बाबा साहब के योगदान के बारे में जानकारी की आवशकता है। बाबा साहब अंबेडकर का सर्वाधुनिक भारत के निर्माण में जितना योगदान रहा है उतना शायद ही किसी नेता का रहा होगा। बाबा साहब अर्धशास्त्र से डॉक्टरेट की पढाई करने वाले पहले भारतीय थे।

भारतीय रिजर्व बैंक कि स्थापना में डॉ भीमराव अंबेडकर का योगदान

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वैसे तो एक भारतीय और इस देश के एक युवा के रूप में, मुझे ये बात साझा करने पर बहुत गर्व है कि जिस महापुरुष को सब लोग दलित ,नीच , अछूत कह कर बुलाते थे उस व्यक्ति ने इतने संघर्ष के बाद भारत के केंद्रीय बैंक कि स्थापना की थी। आज उन्ही संघर्षो के बदौलत भारत देश दूसरे देशो के मुक़ाबले कदम से कदम मिला कर चल रहा है। बाबा साहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1 अप्रैल 1935 हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था। 1926 में कमीशन भारत आया था , तब उस समय बाबा साहब द्वारा लिखी गयी पुस्तक प्रॉब्लम ऑफ़ रुपी (PROBLEM OF RUPEE ) की सभी सदस्यों ने ज़ोरदार वक़ालत की। ब्रिटिशो ने इसे कानून का स्वरुप मानते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया। पहले इसका केंद्रीय कार्यालय कलकत्ता में था जो कि कुछ समय बाद मुंबई में कर दिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पहले गवर्नर का नाम ओसबोर्न स्मिथ था।

दामोदर घाटी परियोजना कि स्थापना में डॉ अंबेडकर का योगदान

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यदि कोई व्यक्ति है जो भारत में बड़े बांध प्रौद्योगिकी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं को पेश करने में सबसे महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है, तो वह व्यक्ति क्रांतिकारी डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के अलावा अन्य कोई नहीं था। दामोदर घाटी परियोजना कि स्थापना के लिए वह भारत के पहले व्यक्ति हैं , इस बांध को बनाने के लिए बाबा साहेब ने केंद्रीय बिजली बोर्ड कि योजना बनाने और डिजाइन करने , मशीनरी का निर्माण किया था और योजनाकारों, निर्देशकों को निर्देश दिया था कि उनके मार्गदर्शन के तहत योजना तैयार की जाये। 1946 तक दामोदर घाटी परियोजना कि जिम्मेदारी बाबा साहेब के अधीन थी। इसके बाद बांध का सारा काम दामोदर विकास निगम को सौंप दिया गया था। दामोदर बांध के संदर्भा में बुलाई गयी सभा में लोगो का मानना था कि इस परियोजना से न केवल बाढ़ की समस्या से राहत मिलेगी बल्कि सिंचाई, बिजली और नेविगेशन के लिए भी ये एक अच्छा विकल्प रहेगा।

हीराकुंड बांध परियोजना कि स्थापना में डॉ अंबेडकर का योगदान

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हीराकुंड बांध भारत में ओडिशा राज्य में संबलपुर से लगभग 15 किलोमीटर (9.3 मील) महानदी में स्थित है। बांध के पीछे एक झील, हीराकुंड जलाशय, 55 किलोमीटर (34 मील) लंबी फैली हुई है। यह भारत कि स्वतंत्रता के बाद शुरू हुई पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। 1936 के विनाशकारी बाढ़ से पहले, महानगर डेल्टा में बाढ़ कि समस्या से निपटने के लिए महानिदेशीय बेसिन में सर एम विश्वेश्वराय ने भंडारण जलाशयों के लिए विस्तृत जांच का प्रस्ताव किया , 1945 में श्रमिक सदस्य डॉ बी आर अम्बेडकर कि अध्यक्षता में बहुद्देश्यीय उपयोग के लिए महानदी को नियंत्रित करने के संभावित लाभों में निवेश करने का निर्णय लिया गया। केन्द्रीय जलमार्ग, सिंचाई और नेविगेशन आयोग ने काम किया। 15 मार्च 1946 को ओडिशा के गवर्नर सर हाथॉर्न लुईस ने हीराकुंड बांध के आधारशिला रखी। जून 1947 में एक परियोजना रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 12 अप्रैल 1948 को कंक्रीट का पहला बैच रखा था।

श्रमिकों के अधिकार में बाबा साहब का योगदान

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अगर कोई व्यक्ति जो भारत में श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करता है, तो वह व्यक्ति “आधुनिक भारत का संस्थापक पिता” क्रांतिकारी डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के अलावा अन्य कोई नहीं था। अगर आज के समय में आप 8 घंटे काम कर के अपने परिवार के साथ एक सुकून के पल बीता रहे हैं तो ये बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर कि देन है। उन्होंने श्रमिकों के साथ मिल के श्रमिक नेता के रूप में और 1942 और 1946 के बीच वाइसराय की कार्यकारी परिषद के श्रमिक सदस्य के रूप में काम किया। आज भारत में प्रति दिन कार्य समय लगभग 8 घंटे है। 27 नवम्बर 1952 को भारतीय श्रम सम्मेलन के 7 वें सत्र में कामकाज कि अवधि को 12 घंटे से 8 घंटे कर दिया। उस बैठक में डॉ बाबा साहेब के भाषण के कुछ शब्द “इसमें जोर दिया गया की वर्तमान में इस प्रश्न को उठाने के लिए एक उपयुक्त क्षण था क्योंकि कारखाने के कर्मचारियों को राहत देने कि आवश्यकता थी। इसके अलाव कम समय के लिए अधिक रोजगार मिलेगा , घंटों में कमी के साथ मूल वेतन या महंगाई भत्ते में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, जब तक कि कीमतों में गिरावट न आए”

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