Language University Lucknow: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में बसंत पंचमी के अवसर पर गंगा जमुनी तहजीब की साझी विरासत देखने को मिली। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय प्रांगण में विद्या की देवी सरस्वती की भव्य प्रतिमा की स्थापना की गई एवं कुलानुशासक डॉ प्रवीण कुमार राय समेत सभी शिक्षकों ने मिलकर सरस्वती वंदना की।
कुलपति बोले विश्वविद्यालय में बसंत का आयोजन सौहार्द का प्रतीक-
विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्र छात्राओं को बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बसंत पंचमी का यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सौहार्द एवं एकता का प्रतीक है।
विश्वविद्यालय के सभागार में कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें बसंत के गीतों ने एक अलग ही वातावरण बना दिया।
इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे विद्यार्थियों की सराहना करते हुए कुलपति ने सभी संकाय के अध्यक्षों को हॉबी क्लब बनाने का आग्रह किया, जिससे विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को और निखारा जा सके।
संगीत शिक्षिका को किया गया पुरस्कृत-
कुलपति विनय कुमार पाठक ने श्रीमती विभा सिंह, संगीत शिक्षिका, बीएड विभाग को ₹5000 की धनराशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान करने की भी घोषणा की। संगीत के प्रति विद्यार्थियों की रुचि देखते हुए उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थियों की सुविधा के लिए संगीत के मद में कुछ धनराशि की आवश्यकता हो तो विश्वविद्यालय द्वारा उसे उपलब्ध कराया जाएगा।
बसंत के रंग में रंगा विश्वविद्यालय –
विश्वविद्यालय में पहली बार बसंत पंचमी पर इस तरीके के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस मौके पर सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं बसंत के भावों में युक्त दिखे। इस कार्यक्रम के बारे में विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में शिक्षक डॉ लक्ष्मण सिंह से पूछने पर उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती का अवतार हुआ था और बसंत के आने के बाद मौसम में एक अलग प्रकार का बदलाव देखा जाता है इसलिए बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज बसन्त भी कहा जाता है।