Corona: कोरोना काल में लोंगो पर दर्ज ढाई लाख मुक़दमे होंगे ख़त्म

Corona: कोरोना काल में लोंगो पर दर्ज ढाई लाख मुक़दमे होंगे ख़त्म
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कोरोना काल में संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू किया गया था। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करने वाले तमाम सारे लोगों को पर मुकदमे दर्ज किए गए थे।

लोगों के ऊपर दर्ज मुकदमों की संख्या तकरीबन ढाई लाख थी।अब यह सारे मुकदमे वापस होंगे उत्तर प्रदेश सरकार की अब तक किया बड़ी कार्यवाही लोगों के हित में देखी जा रहे हैं।

तब्लीगी जमात के लोगों पर दर्ज मुकदमे भी होंगे वापस-

कोरोना का हाल में तबलीगी जमात के लोगों के ऊपर भी उत्तर प्रदेश सरकार की एक बड़ी कार्यवाही देखने में आई थी। गौतमबुद्ध नगर, लखनऊ, मेरठ और गाजियाबाद में जमात से जुड़े 323 लोगों को पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुकदमे दर्ज किए थे। यह सारे मुकदमे कोविड-19 दौरान नियमों के उल्लंघन कर सभा अथवा एकत्रित होने पर किए गए थे।

तब्लीगी जमात के 1,725 लोगों के खिलाफ यूपी पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए हैं। इनमें से 1550 भारतीय और 175 विदेशी जमाती शामिल हैं। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 323 केस दर्ज किए गए थे। लखनऊ जोन में 120 जमाती चिन्हित किए गए थे।

इनमें से 68 जमातियों के खिलाफ 26 मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन, अब सभी पर दर्ज मामले वापस हो जाएंगे।

सीएम ने गृह विभाग को कार्यवाही के लिखी चिठ्ठी-

उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इस गृह विभाग को  आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को कार्रवाई करने के लिए कहा है।

दरअसल, सरकार का मानना है कि मामूली गलतियों के चलते आम लोगों पर आईपीसी की धारा-188 के तहत मामले दर्ज किए गए थे। अब आगे इन मामलों को चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह लॉकडाउन के उल्लंघन के केस वापस लेने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।

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उत्तर प्रदेश के आम जनमानस को मिलेगी राहत-

उत्तर प्रदेश

आपको बता दें कि पिछले साल मार्च महीने के पहले हफ्ते में आगरा में कोरोना का पहला केस मिला था। इसके लिए एक नवविवाहित युवती को जिम्मेदार ठहराया गया था। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। यह कोरोना महामारी से जुड़ा राज्य का पहला आपराधिक मुकदमा था।

इसके बाद 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क नहीं लगाने, सार्वजनिक स्थलों पर थूकने आदि जैसे नियमों के उल्लंघन करने पर लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा-188 के तहत मामले दर्ज हुए थे।

बीते दिनों प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने व्यापारियों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री के सामने इन केस को वापस लेने का प्रस्ताव रखा था। राज्य सरकार का मानना है कि इन मामलों से आम लोगों को अनावश्‍यक परेशानी उठानी पड़ेगी। इससे कोर्ट का बोझ भी कम होगा।

क्या सजा होती है महामारी एक्ट का उल्लंघन करने पर-

आईपीसी की धारा-188 में  कार्यवाही के दो प्रावधान है

पहला नियम : यदि कोई नागरिक सरकार या किसी सरकारी अधिकारी के कानूनी आदेशों का उल्लंघन करता है या नागरिक के किसी काम से कानून-व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है तो कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

दूसरा नियम : अगर सरकार के आदेश का उल्लंघन करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि को खतरा होता है तो कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।

दोनों ही प्रावधानों में मिल सकती है जमानत-

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ख़ास बात यह है कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC-1973) के पहले शेड्यूल के अनुसार दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है और कार्रवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है।

अदालत और सरकार का कम होगा बोझ-

यूपी में इस समय लाखों मुकदमे लंबित हैं। अदालतों में लंबी सुनवाई चल रही है। अब कोरोना लॉकडाउन के कारण यह ढाई लाख मुकदमे अतिरिक्त अदालतों में पहुंच गए हैं।

इसकी वजह से पुलिस, सरकार, अभियोजन और अदालतों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। बड़ी बात यह है कि इन ढाई लाख मुकदमों की वापसी से सरकार, पुलिस, अभियोजन और अदालतों को बड़ी राहत मिल जाएगी। विशेषज्ञ योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं।

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