बिहार की राजनीति में एक ऐसा धुरंधर जिसकी लव स्टोरी बिल्कुल फिल्मों जैसी है

पप्पू यादव की लव स्टोरी बिल्कुल फिल्मों जैसी है उनकी पत्नी Ranjeet Ranjan के पिता इस शादी के खिलाफ थे। कैसे इन दोनों की लव स्टोरी मुकाम तक पहुंची?

द्रोहकाल का पथिक से Rajesh Ranjan पप्पू यादव की लव स्टोरी बिल्कुल फिल्मों जैसी है - वॉक्सी टॉक्सी
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साल 1991- बिहार का एक नेता जो रासुका के तहत जेल में बंद था, लेकिन पटना के जेल में बंद पप्पू यादव के लिए वो पल मानो उनके जीवन के सबसे सुखद पहलू लेकर आये। एक सम्रद्ध जमींदार परिवार में जन्में पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन (Rajesh Ranjan) ने कैसे राजनीति में अपनी पहचान बनाई, यह ज्यादातर लोग जानते हैं। द्रोहकाल का पथिक से रेफ़्रेन्स लेकर

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ऐसे में आज हम आपको उनके प्रेम प्रसंग और शादी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है

1991 में पप्पू यादव राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत पटना की जेल में बंद थे। पप्पू यादव के लिए वो समय मानो उनके जीवन के आम समय से बिल्कुल अलग था।

आज भी उन दिनों की बातें याद करके पप्पू यादव का चेहरा खिल उठता है।

ये लव स्टोरी यू तो शुरू एक जेल से हुई थी लेकिन इसे मुकाम तक पहुँचने के लिए बड़ा संघर्ष करना पड़ा।

पप्पू यादव ने अपनी किताब ‘द्रोहकाल का पथिक’ में इस रोचक प्रेम कहानी की चर्चा की है और बड़े खूबसूरत ढंग से अपनी प्रेमकहानी को शब्दों में पिरोया है। उनकी पत्नी रंजीत रंजन (Ranjeet Ranjan) के पिता इस शादी के खिलाफ थे लेकिन कैसे इन दोनों की लव स्टोरी मुकाम तक पहुंची? ये बात बड़ी दिलचस्प है।

द्रोहकाल का पथिक
द्रोहकाल का पथिक

पप्पू यादव बताते हैं, रंजीत जी को मैं जितना शुक्रिया अदा करूं वो कम है। 3 साल तक हमारी दोस्ती चली, उन्होंने मेरे प्यार को समझा। तमाम संघर्षों में भी वो मेरे साथ थीं। हमारा प्रेम प्रसंग फरवरी 1992 से शुरू हुआ और इसके बाद 1994 में मेरी शादी हुई।

वो दौर बेहद संघर्ष से भरा था, उस समय एक-दूसरे से मिलना जुलना भी मुश्किल था, पटना आना-जाना तो बहुत बड़ी बात थी। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे बहुत अच्छी पत्नी मिली हैं।

राजेश रंजन का प्यार आसान नहीं था-

आप सोच रहे होंगे पप्पू के लिए रंजीत का प्यार पाना बेहद आसान रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं था। उन्हें अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे।

आपको जानकर ताज्जुब होगा, लेकिन रंजीत ने पहली बार में पप्पू यादव के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था हालांकि, पप्पू यादव ने हार नहीं मानी। उन्होंने रंजीत से इतना तक कह दिया था कि उनके जिंदगी की पहली और आखिरी लड़की वही हैं।

महोब्बत के गम में पप्पू यादव ने नींद की गोलियां खा ली-

रंजीत के रूखे व्यवहार से हताश होकर एक बार पप्पू यादव ने ढेर सारी नींद की गोलियां खा ली थी, जिसके बाद उन्हें PMCH (पटना मेडिकल कॉलेज) में भर्ती कराया गया।

इस बारे उन्होंने अपनी किताब ‘द्रोहकाल का पथिक’ में भी विस्तार से चर्चा किया है। इस घटना के बाद से ही रंजीत का व्यवहार बदलने लगा  लेकिन इन दोनों की राहें अभी भी आसान नहीं थीं।

पप्पू के परिवार से इस शादी के लिए कोई समस्या नहीं थी, लेकिन रंजीत रंजन के पिता ग्रंथी(ਗ੍ਰੰਥੀ पारम्परिक सिख़) थे और शुरू से ही इस विवाह के खिलाफ थे।

ऐसे में पप्पू यादव के बहन-बहनोई रंजीत की फैमिली को मनाने के लिए चंडीगढ़ गए, फिर भी बात नहीं बनी। तमाम कोशिशों के बावजूद हर बार हताशा मिली, जिससे पप्पू निराश हो गए।

पहली नजर में ही रंजीत की फोटो देखकर पप्पू उन्हें दिल दे बैठे-

पटना के बांकीपुर जेल में पप्पू यादव बंद थे, उस दौरान वे अक्सर जेल अधीक्षक के आवास से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे। इन्हीं लड़कों में रंजीत के छोटे भाई विक्की भी थे। धीरे-धीरे खेलने वाले लड़कों के साथ-साथ पप्पू यादव की नजदीकी विक्की से बढ़ गई।

इसी क्रम में एक बार पप्पू यादव ने विक्की के फैमिली एलबम में टेनिस खेलते हुए रंजीत की फोटो देखी। पहली नजर में ही रंजीत की फोटो देखकर पप्पू उनसे प्यार कर बैठे। जेल से छूटने के बाद रंजीत से मिलने के लिए पप्पू यादव अक्सर उस टेनिस क्लब में पहुंच जाते, जहां वो टेनिस खेलती थीं।

पप्पू की ये सब आदतें रंजीत को अच्छी नहीं लगती थीं, उन्होंने कई बार मना किया, मिलने से रोका और कठोर शब्द भी कहे। लेकिन पप्पू यादव डटे रहे। एक बार तो रंजीत ने यहां तक कह दिया कि वे सिख हैं और पप्पू हिंदू और उनके परिवार वाले ऐसा होने नहीं देंगे।

लवस्टोरी को राह पर लाने के लिए बड़े जतन करने पड़े-द्रोहकाल का पथिक

अपनी किताब ‘द्रोहकाल का पथिक’ में पप्पू यादव ने लिखते हैं कि किसी ने उन्हें कांग्रेस नेता एस.एस. अहलूवालिया से मिलने की सलाह दी।

उस शख्स ने कहा कि अहलूवालिया जी आपकी मदद कर सकते हैं, ऐसे में पप्पू यादव तुरंत उनसे मिलने के लिए दिल्ली जा पहुंचे। पप्पू यादव ने अपनी इस किताब में डिटेल में ज़िक्र किया है कैसे एसएस अहलूवालिया साहब की पहल से रंजीत के सिख परिजनों को मनाने में मदद मिली।

एस.एस. अहलूवालिया
एस.एस. अहलूवालिया पप्पू यादव

आख़िरकार शादी की तैयारी हुई और फरवरी 1994 में पप्पू यादव और रंजीत की शादी हो गई।

शादी के लिए चार्टड प्लेन से बिहार पहुंची थी पप्पू यादव के वाइफ की फैमिली-

पप्पू यादव की शादी पूर्णिया के एक गुरुद्वारे में होनी थी, लेकिन बाद में आनंद मार्ग पद्धति से हुई। इस दौरान रंजीत के परिजन चार्टड विमान से पहुंचे थे हालांकि, शादी की गहमागहमी के बीच टेंशन उस वक्त बढ़ गई, जब विमान का पायलट रास्ता भटक गया। खैर विमान सही सलामत पहुंचा तो लोगों ने राहत की सांस ली।

इस दौरान शादी में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव, डीपी यादव, राज बब्बर सहित कई दिग्गज शरीक हुए थे। अपनी शादी के बारे में पप्पू यादव कहते हैं, “हमारी शादी में काफी मुश्किलें आईं, क्योंकि यह दूसरे धर्म में शादी की बात थी। हमारी तरफ़ से तो सहयोग था। हमारे परिवार के स्तर पर कोई परेशानी नहीं थी।”

वहीं, रंजीत के बारे में बात करते हुए पप्पू कहते हैं कि रंजीत जी खुद आध्यात्मिक हैं। बहुत अच्छा बोलती हैं। व्यक्तित्व बहुत अच्छा है। ईमानदारी से जीतीं हैं। लाग-लपेट में नहीं रहती हैं। बच्चों के लिए बेस्ट मां हैं।

PDA (प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस) से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं पप्पू यादव-

पप्पू यादव की जन अधिकारी पार्टी, चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, बीएमपी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने मिलकर नए गठबंधन की नींव रखी है। इस गठबंधन का नाम है प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस यानी पीडीए।

बिहार विधानसभा (Bihar Election) में इस बार कई दिग्गज अपना भाग्य आजमा रहे हैं। कुछ लोग बड़ी पार्टियों से चुनावी दंगल में हैं तो कुछ अपनी खुद की पार्टी से बिहार के सिंहासन तक पहुंचना चाह रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद रहे पप्पू यादव  हैं, पप्पू ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान आम जनों की काफी मदद की थी।

पर्सनल लाइफ तमाम मुश्किलों को झेलते हुए सफलता पाने वाले पप्पू यादव बिहार की राजनीति में एक बड़ा चेहरा हैं।  कभी राजद के टिकट पर संसद पहुंचे पप्पू यादव इस बार अपनी खुद की पार्टी JAP (जन अधिकार पार्टी) से चुनाव मैदान में हैं। इस बार वे 150 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।

हर किसी का मीडिया ट्रायल करने वाले “मीडिया” का आज खुद मीडिया ट्रायल हो रहा है!

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