लखनऊ-ए राजधानी स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर 1 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
आपको बता दें कि विश्वविद्यालय के छात्र रहे अहमद रजा खान द्वारा सुप्रीम कोर्ट में उनके निष्कासन को लेकर एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें सर्वोच्च अदालत से राहत देने की अपील की गई है। इसको देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत तब सुप्रीम कोर्ट पहुँचा छात्र-
निष्कासन के पश्चात छात्र ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक के बाद एक कई याचिकाएं दाखिल कीं लेकिन विश्वविद्यालय की ढुलमुल कार्यवाही कि वजह से वो सारी याचिकायें उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई। उसके बाद छात्र ने अंतिम राहत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
पूर्व कुलपति महरुख मिर्जा ने CAA/NRC के विरोध प्रदर्शन पर किया था निष्कासित-
विश्वविद्यालय में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन और मेस शुल्क बढ़ोतरी पर हो रहे छात्रों के प्रदर्शन में अहमद रजा खान को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था। विश्वविद्यालय द्वारा छात्र के ऊपर औऱ भी कई आरोप लगाये गये, इन सबमें पूर्व कुलपति महरूख मिर्जा की अहम भूमिका थी।
हालांकि वर्तमान समय में प्रोफेसर मिर्जा विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में बतौर प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं और प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर वहां का कार्यभार संभाले हुऐ है।
रिटायर्ड जज की अध्यक्षता के जाँच घेरे में चल रहे हैं महरूख़ मिर्जा-
प्रोफेसर महरूख मिर्जा पर कुलपति रहते हुए पद का गलत इस्तेमाल कर वित्तीय अनियमितता और शिक्षकों की नियुक्तियों में हेर फेर जैसे तमाम आरोप हैं। https://bitcoinbetsport.com
पद से हटते ही उनकी कारगुजारियों की कलई खुलने लगी तो प्रो.महरूख मिर्जा के खिलाफ अनियमितता और भ्रष्टाचार किए जाने पर हुई शिकायतों का संज्ञान लेकर प्रदेश राकीज्यपाल ने एक जांच कमेटी बनाई।
जिसमें उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज एस के त्रिपाठी की अध्यक्षता में कुलपति शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय व कुलसचिव KGMU शामिल हैं।
उनके खिलाफ हुई शिकायतों के 26 बिंदुओं पर प्रो. मिर्जा के खिलाफ कमेटी द्वारा जांच की जा रही है, जिसकी रिपोर्ट एक माह में आनी थी लेकिन अभी तक नहीं आई है। Voxy Talksy Hindi |