भारत का कुछ नहीं हो सकता

उनके मुहं मुहं से "भारत का कुछ नहीं हो सकता" बार-बार निकल रहा था, और आस-पास के लोग हाँ में हाँ ही मिलाये जा रहे थे, उनका समर्थन कर रहे थे।

भारत का कुछ नहीं हो सकता-लखनऊ से वाराणसी का सफर -voxytalksy
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बनारस से लखनऊ के लिए ट्रेन पर चढ़ा।  ट्रेन खचाखच भरी हुई थी। कहीं राइ मात्र भी जगह नहीं थी बैठने के लिए, सो मैं खड़ा ही रहा। मैं खड़ा ही था तभी, मेरी दृष्टि एक अधेड़ उम्र के सज्जन पर पड़ी। सफ़ेद बाल, झुर्रीदार शरीर, धोती कुर्ता पहने हुए जिनके मुहं से भारत का कुछ नहीं हो सकता“, “भारत का कुछ नहीं हो सकता बार-बार निकल रहा था। उनके मुहं से केवल भारत और सरकार की बुराइयां ही निकल रही थी, और आस-पास के लोग हाँ में हाँ ही मिलाये जा रहे थे, उनका समर्थन कर रहे थे।

अपने देश के प्रति ऐसे वाक्य सुनalberto guardiani scarpe outlet alberto guardiani scarpe outlet alberto guardiani outlet saldi mandarina duck la milanesa borse saldi trolley mandarina duck outlet outlet la milanesa harmont & blaine sito ufficiale dallas cowboys slippers mens mandarina duck borse outlet outlet la milanesa mandarina duck saldi 2022 borse mandarina duck outlet harmont & blaine outlet donna mandarina duck outlet online कर मुझसे नहीं रहा गया और मैं बोल पड़ा- सर जी, देश कितनी तरक्की कर तो रहा है, आप देख नहीं रहें हैं क्या? ये सुनते ही वे मुझ पर बड़े गुस्से से बिफर पड़े और बोले तुम अभी बच्चे हो, तुम्हे समाज का ज्ञान नहीं है, मेरे बाल यूँ ही नहीं सफ़ेद नहीं हुए हैं।

मैंने उनसे कहा- तो फिर आप मुझे कोई उदाहरण तो दें जहाँ भारत तरक्की नहीं कर रहा है। वे बोले- अरे कहीं तरक्की नहीं कर रहा है भारत, इस देश का कुछ नहीं हो सकता, चारों तरफ केवल भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार हैं। वे केवल एक ही बात की रट लगाए हुए थे।

मेरी आदत थी कि जब भी मैं ट्रेन में सफर करता हूँ तो कोई 4-5 पत्रिकायें अपने पास जरूर रखता हूं, संयोग वश मेरे पास विज्ञान प्रगति नामक पत्रिका की 4-5 प्रतियां थी, जिसमे भारत में लगभग हर क्षेत्र में हो रहें विकास के बारें में कुछ ना कुछ जानकारियां थी, सरकार की योजनाओं के बारें में था।

मैंने उन्हें सारीं पत्रिकायें थमा दी। उन्होंने सारी पत्रिकाओं को जल्दी-जल्दी पलटकर देखा और फिर ध्यान से उसे पढ़ने में मग्न हो गये। शायद, उन्हें यें पत्रिका अच्छी लगी होगी। अब वें कुछ नहीं बोल रहें थे। शायद अब उनका पूरा ध्यान भारत में हो रही तरक्की की जानकारी ग्रहण करने में लगा हुआ था।

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बनारस से लखनऊ तक के 8 घंटे के सफर में वे पूरी रात उस पत्रिका को ही पढ़ते रहें, यहाँ तक कि रात भर वें सोएं भी नहीं। प्रातः जब मेरी नींद खुली तो देखा, अब वे भारत में लगातार हो रही तरक्की की बात कर रहे थे। उन्होंने यहाँ तक बोला कि आज पूरा विश्व भारत का लोहा मान रही है। भारत का मित्र बनने और भारत के साथ मिलकर काम करने को आतुर हैं। इसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री मोदी जी का अद्भुत कुशल नेतृत्व भी हो सकता है जो इतने कम समय में भारत कहाँ से कहाँ तक पहुंचने को आतुर हैं। यह सब सुनकर अब मैं मन ही मन अपने आप को मुस्कराने से न रोक सका, क्योंकि एक रात में उनका अपने देश, भारत के प्रति, नजरिया बिल्कुल बदल चुका था।

मैंने अक्सर देखा हैं कि लोग भारत की बुराई करने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाते, वें ये नहीं सोचते कि वें भारत देश की नहीं बल्कि अपनी मातृभूमि, अपनी माता की बुराई कर रहें हैं और हमेशा बोलते रहते हैं कि भारत का कुछ नहीं हो सकता, यहाँ सब रामभरोसे हैं। हमें अपनी सोच और नजरिया का दायरा थोड़ा बढ़ाना होगा। देश के बारे में कुछ बोलने के बजाए, हमें इसकी उन्नति में दिन रात सकारात्मक योगदान देना चाहिये। यहाँ हो रही तरक्की का अध्ययन करने के बाद ही हमें किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए बजाये अफवाहें फ़ैलाने के।

लोगों के सकारात्मक योगदान से ही हमारा भारत विकासशील देश से सर्वश्रेष्ठ विकसित देश बनेगा और अगर मोदी जी को  देश की जनता का सकारात्मक सहयोग मिले तो ऐसा होने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।

 

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