देश भर की मीडिया की नजरें अपनी ओर खींचने वाला हाथरस एक बार फिर चर्चा का विषय बन रहा है। दलित युवती से कथित रेप मामले में जो चार आरोपी हैं, उनके समर्थन में गांव और आस-पास के सवर्ण एक हो रहे हैं।
12 गांवों के ब्राह्मणों-ठाकुरों ने गुपचुप लगाई पंचायत, फैसला लिया कि गैंगरेप के आरोपियों का साथ देंगे, गांव में किसी बाहरी को घुसने भी नहीं देंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक- पीड़िता के गांव बूलगढ़ी से करीब 500 मीटर की दूरी पर दो अक्टूबर, शुक्रवार को सैकड़ों लोग जमा हुए। सभी या अधिकतर सवर्ण थे, ये एक सवर्ण पंचायत किस्म की बुलाई गई थी। आम राय ये बनी कि चारों आरोपियों को फंसाया जा रहा है और इस मामले को दलित बनाम सवर्ण का रूप दिया जा रहा है।
इस वजह से सभी ने फैसला किया कि आरोपी युवकों का पक्ष रखा जाएगा और गांव में फिलहाल किसी भी बाहरी को आने नहीं दिया जाएगा। यहां जुटे लोगों ने ये भी कहा कि वे जांच से संतुष्ट नहीं हैं, जांच के विरोध में प्रदर्शन भी किया।
दलित बनाम सवर्ण का बन रहा है माहौल-
हाथरस गैंगरेप मामले में एक ओर जहां देशभर में आक्रोश भड़का है, लोग पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं वहीं अब लोग जातिवाद के आधार पर आरोपियों के समर्थन में भी लोग लामबंद हो रहे हैं। शुक्रवार को बूलगढ़ी गांव के पास ही स्थित बघना गांव में ठाकुर समुदाय की पंचायत हुई, जिसमें आरोपियों की रिहाई के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया।
इस पंचायत में बूलगढ़ी और आसपास के एक दर्जन गांव के ठाकुर और सवर्ण समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस घटना की आड़ में सवर्णों को निशाना बनाया जा रहा है और सवर्ण समाज के खिलाफ दलितों का आक्रोश भड़काया जा रहा है।
गैंगरेप आरोपियों के परिवार ने कहा- इनके साथ बैठना-बोलना भी पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छुएंगे क्या?
दिल्ली में जब सफदरजंग अस्पताल में पीड़ित के परिजन उसके भाई और पिता बार-बार जाति का जिक्र कर रहे थे। इस खबर को लिखते हुए मेरे मन ये सवाल उत्पन्न हो रहे हैं कि क्या अभी भी हमारी वाली दुनिया में इतना गहरा जातिवाद है?
लेकिन गाँव की पंचायत, फिर पंचायत का फैसला और रेप होने 5 दिनों तक कोई कार्यवाही न होना मेरे मन मे आये इन सवालों के जवाब शायद दे देता है। गिरफ्तार आरोपियों के परिवार के लोग कहते हुए दिखे, ‘हम इनके साथ बैठना-बोलना तक पसंद नहीं करते, हमारे बच्चे इनकी बेटी को छुएंगे?
हालाँकि एसआइटी की रिपोर्ट के बाद शुक्रवार देर शाम उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस के एसपी विक्रांत वीर समेत कुल पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
लेकिन पीड़ित परिवार को धमकाने वाले जिलाधिकारी पर मुख्यमंत्री की कृपा बरकरार रही। आज मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रमुख सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी हाथरस पहुंच रहे हैं।
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था-नहीं हुआ बलात्कार
उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने मंगलवार को दावा किया था कि हाथरस में 19 साल की युवती के साथ रेप नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी। फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ।
प्रशांत कुमार ने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी। उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था।
कुमार ने कहा कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।