लोकसभा और राज्यसभा टीवी को विलय सरकार ने बनाया संसद टीवी।

लोकसभा और राज्यसभा टीवी को विलय सरकार ने बनाया संसद टीवी।
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राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही को प्रसारित करने वाले चैनल लोक सभा टीवी व राज्य सभा टीवी को सरकार ने विलय कर एक नया चैनल संसद टीवी के नाम से बनाया है।1 मार्च 2021 को नए चैनल द्वारा जारी किए गए एक आदेश के मुताबिक यह फैसला राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी रवि कपूर को एक साल के लिए इसका मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी कि सीईओ नियुक्त किया गया है।

आर्थिक बोझ कम करने का हवाला देकर किया गया विलय-

सरकार का तर्क है कि आर्थिक बोझ को कम करने और दोनों चैनलों के बीच ‘संसाधनों की बर्बादी रोकने’ के लिए ऐसा किया गया है।सरकार का ये भी कहना है कि मर्जर की वजह से नौकरियों के जाने की संभावना काफी कम है।सरकारी अधिकारियों का मानना है

‘राज्यसभा टीवी ने तालकटोरा स्टेडियम में जो जगह किराए पर ले रखी थी उसका किराया 30 करोड़ रुपये था, जो कि बाद में घटाकर 16 करोड़ रुपये कर दिया गया था।हालांकि, ये भी काफी ज्यादा था।लोकसभा टीवी के पूर्व एडिटर-इन-चीफ और सीईओ जोशी का का भी यही कहना है। इस कदम से संसद के कंटेट को एकीकृत करके आर्थिक बोझ को कम किया जा सकेगा।

क्या फायदा होगा इस प्रकार के विलय से-

चैनल में मौजूद सूत्रों का मानना है मर्जर पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ससंद टीवी के अंतर्गत दो अलग-अलग चैनल- संसद-1 और संसद-2 होना चाहिए। इससे दो उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा।जब संसद की कार्यवाही चल रही हो तो दोनों सदनों की कार्यवाही को एक साथ प्रसारित किया जा सकता है और जब संसद का सत्र न चल रहा हो तो इसके जरिए हिंदी और इंग्लिश की दर्शकों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है।

इस रिपोर्ट के बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संसद 1 लोकसभा कार्यवाही और संसद 2 राज्य सभा की कार्यवाही के लिए रखा गया।जब संसद की कार्यवाही नहीं चल रही हो तब पहला चैनल हिंदी में और दूसरा चैनल अंग्रेज़ी में सामग्री उपलब्ध करा सकता है। पैनल ने ये सिफारिश की थी।

अधिकारी का ये भी मानना है ‘संसद टीवी का हेड कोई एक व्यक्ति होगा। हालांकि, दोनों चैनलों के एडिटोरियल हेड अलग-अलग हो सकते हैं।पैनल की सिफारिशों के मुताबिक दोनों सदनों की कार्यवाही को साथ-साथ प्रसारित किया जा सकेगा।राज्य सभा टीवी में काफी सारे कार्यक्रम अंग्रेज़ी में थे। दोनों चैनलों के अलग-अलग संपादकीय प्रमुख होने की संभावना है।

संसद की कार्यवाही के प्रसारण के साथ-साथ संसद टीवी पर कई तरह के दैनिक और साप्ताहिक कार्यक्रमों व न्यूज़ और करेंट अफेयर्स- संविधान और उसके बारे में जागरूकता को लेकर भी प्रसारित किया जाएगा। जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होगा उस वक्त चैनल के द्वारा बहुत से कॉमन कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाएगा।

2017 से ही शुरू हो गये थे मर्जिंग के प्रयास-

दोनों चैनलों के सूत्रों के मुताबिक दोनों सदनों के सचिवों ने मर्जर के लिए वर्ष 2017 से ही प्रयास शुरू कर दिए थे।लोकसभा टीवी को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा वर्ष 2006 में लॉन्च किया गया था जबकि राज्य सभा टीवी का प्रसारण वर्ष 2011 से शुरू हुआ था।इन चैनलों से दोनों सदनों की कार्यवाहियों के प्रसारण के अलावा चैनल पर चर्चा-परिचर्चा व अन्य कई तरह के प्रोग्राम भी प्रसारित किए जाते थे।

7 नवंबर 2019 को मर्जर की रुपरेखा तैयार करने व संसाधनों और टेक्नोलॉजी को मिलाने को लेकर गाइडलाइन्स बनाने के लिए एक कमेटी बनाई गई। इस पैनल के अध्यक्ष प्रसार भारती के पूर्व चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश थे जबकि राज्य सभा के अतिरिक्त सचिव एए राव, लोकसभा सचिव गणपित भट्ट, राज्य सभा टीवी की आर्थिक सलाहकार शिखा दरबारी, मनोज कुमार पांडेय और लोकसभा टीवी के पूर्व सीईओ डॉ आशीष जोशी पैनल के सदस्यों में शामिल थे।

लोकसभा टीवी से जुड़े हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहते हैं कि पिछले साल सौंपी गई  रिपोर्ट में पैनल ने संसद के लिए एक ही एकीकृत चैनल होने की सिफारिश की थी|

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