यूट्यूब पर रास नहीं आ रही है लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात।
इंटरनेट यूजर्स के नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण कल से ही मन की बात का कार्यक्रम चर्चा में बना हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ वीडियो को यूट्यूब पर अब तक 41 हज़ार लोगों ने डिसलाइक किया है जबकि लाइक सिर्फ़ 21 हज़ार लोगों ने। लोगों की इस नकारात्मक प्रतिक्रिया की क्या वजह हो सकती है?
रविवार के दिन आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम का प्रसारण दूरदर्शन के अलावा अन्य कई सारे निजी चैनल भी इसका सीधा प्रसारण करते हैं।
गौरतलब यह है की पीआईबी, बीजेपी और प्रधानमंत्रीमोदी के यूट्यूब चैनल पर भी देश के नाम पीएम के संबोधन को सुना जा सकता है।
मगर इस रविवार को मन की बात का कार्यक्रम हमेशा की अपेक्षाकृत थोड़ा चर्चा में रहा इस बार के मन की बात को लेकर इन यूट्यूब चैनलों पर यूज़र्स की प्रतिक्रिया सकारात्मक कम, नकारात्मक ज़्यादा रही है. इन तीनों ही जगह मन की बात के वीडियो पर लाइक्स की तुलना में डिसलाइक बहुत ज़्यादा हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के फॉलोअर्स इस घटना को सामान्य नहीं मान रहे क्योंकि इससे पहले कभी मन की बात के कार्यक्रम को लेकर देश के लोगों का रवैया इतना नकारात्मक कभी नहीं रहा है ऐसे में इस बात को जानना जरूरी होगा कि आखिर यह क्यों हो रहा है।
देखने वालों का क्या रहा आंकड़ा
बीते रविवार को मन की बात के वीडियो पर इंटरनेट यूज़र्स की प्रतिक्रिया शुरू से ही सुस्त रही. कार्यक्रम का प्रसारण सुबह हुआ था मगर देर रात तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ था।
मन की बात कार्यक्रम प्रसारण के करीब 23 घण्टे बाद प्रधानमंत्री मोदी के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर यानी आज सुबह 11 बजे तक तकरीबन 6 लाख 32 हजार लोगो ने इस कार्यक्रम को देखा है जबकि 31 हजार लोगों ने इसे पसंद करकर लाइक का बटन दबाया है जबकि 79 हजार लोगों ने इसे न पसन्द किया है।
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इसी तरह पीआईबी के यूट्यूब चैनल पर ‘मन की बात’ पर मात्र 91 हज़ार व्यूज़ थे जबकि लाइक 3.2 हज़ार और डिसलाइक 10 हज़ार थे।
मन की बात में क्या कुछ कहा प्रधानमंत्री मोदी ने
मन की बात की इस कड़ी में 68 वी बार संबोधित किया प्रधानमंत्री मोदी ने।
हर बार अलग-अलग विषयों पर बात करने वाले पीएम ने इस बार ओणम त्योहार की बात की और भारतीय उद्यमियों को खिलौनों के कारोबार में संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया।
इसके अलावा, पीएम ने यह भी कहा कि डिवेलपर्स को भारत में कंप्यूटर गेम्स बनाने चाहिए, पीएम ने स्वदेशी खिलौने के निर्माण पर ज़ोर देते हुए कहा, “ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है लेकिन इतने बड़े कारोबार में भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।