महाराष्ट्र, टंटामुक्त आदर्श ग्राम योजना
एक सरकारी योजना, इसके अन्तर्गत कुछ आदर्श गांव चिन्हित किये गये हैं। मानक यह है कि जिन गांवों में कोई झगड़ा, लड़ाई, विवाद, मुकदमा, पुलिस प्रकरण नहीं है उन गांवों को “टंटामुक्त आदर्श ग्राम योजना” घोषित किया गया है।
महाराष्ट्र के गांवों में भ्रमण करते समय अक्सर ऐसे गांवों पर नज़र पड़ जाती है। एक विशेष बात जिस पर मेरा ध्यान गया कि अधिकतर टंटामुक्त गांवों के द्वार पर मैंने एक चबूतरा बना देखा जिन पर दो झण्डे फहराते पाया।
एक झण्डा धम्मध्वजा उपाख्य पंचशील का और दूसरा झण्डा नीले रंग का जिस पर धम्म चक्र बना होता है। चबूतरे पर “जय भिम” लिखा होता है। मराठी में प्रायः “भीम” को “भिम” लिखते हैं।
कुछ गांवों में मैंने तहकीकात की तो मालूम हुआ कि यह गांव बौद्ध लोगों का है। वे बाबा साहेब को मानने वाले लोग हैं।
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हर्षित करने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र के अधिकतर “टंटामुक्त आदर्श ग्राम” बौद्ध बाहुल्य हैं। ऐसा ही एक गांव है कुंभवे जहाँ बौद्ध लोगों की बस्ती का नाम बौद्धवाडी है।
इस गांव में कोई मुकदमा का प्रकरण नहीं है, पुलिस मामला नहीं है, कोई आपसी रंजिश नहीं है। लोग मैत्री और सौहार्द से रहते हैं।
बुद्ध के शील वचनो का पालन
जानते हैं ऐसा क्यों है? इस गांव के लोग शराब नहीं पीते
सुरामेरयमज्ज पमादाट्ठाना वेरमणि साक्खापदंसमादियामि
भगवान प्रदत्त इस शील का इस गाँव में आदर्श पालन होता है।
भगवान कहते हैं- न विवदितब्बं-टंटा नको- विवाद न करो।
महाराष्ट्र के टंटामुक्त आदर्श ग्राम भगवान की देशना के जीवंत प्रमाण हैं।
मेरी कल्पना में तैरने लगा वह काल, भगवान बुद्ध का समय, जब लोग घरों में ताले नहीं लगाते थे। सम्राट अशोक का काल जब राजसैनिक दायित्वविहीन जैसे हो गये थे क्यों कि अपराध नहीं होते थे अथवा होते भी तो नगण्य संख्या में होते थे। नतीजतन सम्राट अशोक ने राजसैनिकों को धम्म प्रचार में लगा दिया था।
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महाराष्ट्र के टंटामुक्त गांवों में जो वर्तमान दिख रहा है, इतिहास के अभिलेखों से अतीत का जो चित्र सम्राट अशोक के काल का दिख रहा है, भगवान बुद्ध के समय का दिख रहा है, उसका एक जीवंत आदर्श यूरोप के एक देश नीदरलैंड में दिखाई दे रहा है।
नीदरलैंड में कारागारों को बंद करने की नौबत आ गयी
23 मई 2018 इण्डिया टुडे वेब डेस्क के हवाले से एक हैरानी वाली सुखद खबर है कि सन् 2013 तक नीदरलैंड में अपराध दर इतनी गिर गयी कि वहाँ के कारागारों में सिर्फ 19 कैदी बचे थे और सन् 2018 तक सजा पूरी कर के वे कैदी भी कारावास से मुक्त कर दिये गये।
नीदरलैंड के कारावासों में एक भी कैदी नहीं बचा है। अब नीदरलैंड की सरकार के सामने एक नयी समस्या खड़ी हो गयी है कि विशाल कारावासों, भवन, अवस्थापना-इ इंफ़्रास्ट्रक्चर, अधिकारियों और कार्मिकों का क्या किया जाए! क्या भवनों को निष्प्रयोज्य कर दिया जाए, अधिकारियों और कार्मिकों को सेवामुक्त कर दिया जाए!
अंततः नीदरलैंड सरकार ने एक अनूठा उपाय निकाला। उसने अपने पड़ोसी देश नार्वे से अनुबंध करके अपने देश की कारावासों के लिए कैदी आयात किये हैं जिनके रखरखाव का ख़र्चा नार्वे उठाएगा जिससे नीदरलैंड को अतिरिक्त आय होगी और उसे अपने कार्मिकों को सेवामुक्त भी नहीं करना पड़ेगा।
महाराष्ट्र के टंटामुक्त गांव एक उम्मीद जगाते हैं- बुद्ध के काल की धम्मराज्य पुनरावृत्ति हो सकती है, सम्राट अशोक का इतिहास दोहरा सकता है!
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अगर नीदरलैंड में हो सकता है तो बुद्ध के, अशोक के, बोधिसत्व बाबा साहेब के देश में यह क्यों सम्भव नहीं है ?
महाराष्ट्र सरकार की इस प्रान्तीय योजना को राष्ट्रीय विस्तार दिये जाने की जरूरत है। भारत के समस्त विवादरहित गांवों को चिन्हित कर उन्हें इस योजना से लाभान्वित किया जाना चाहिये।
कितना अच्छा हो कि ऐसी सम्भावित योजना का नाम ‘सम्राट अशोक आदर्श ग्राम’ रखा जाए क्योंकि सम्राट अशोक के काल की ग्राम्य व्यवस्था का बड़ा सुखद चित्रण इतिहास ग्रंथों में मिलता है।
इस दृष्टिकोण से शोध विद्यार्थियों को भी अपना विषय चयन करना चाहिए। गैर-सरकारी संगठनों यानी एनजीओ को सर्वेक्षण कर एक कार्य योजना भारत सरकार को संस्तुत किये जाने की जरूरत है।
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