इलाहाबाद हाईकोर्ट से कन्हैया कुमार को बड़ी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट से कन्हैया कुमार को बड़ी राहत
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कन्हैया कुमार की नागरिकता रद्द किए जाने के संबंध में दायर जनहित याचिका के मामले में फैसला दिया है। कोर्ट ने कन्हैया कुमार को राहत देते हुए उनकी नागरिकता छीनने वाली याचिका को खारिज करते हुए याची के ऊपर ₹25000 का जुर्माना लगाया है।

पब्लिसिटी के लिए दायर की गई याचिका कोर्ट

कोर्ट ने कहा है कि याचिका जनहित में न होकर बिना संविधान व नागरिकता कानून का अध्ययन किये चीप पब्लिसिटी हासिल करने के लिए दाखिल की गयी। इस प्रकार की याचिका न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग करना है।

जस्टिस शशिकान्त गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने वाराणसी के नागेश्वर मिश्र की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।

कोर्ट ने याची को हर्जाने की राशि 30 दिन में रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय में जमा कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह राशि एडवोकेट एसोसिएशन के खाते में जमा की जाये, साथ ही हर्जाना नहीं देने की स्थिति में जिलाधिकारी वाराणसी याची से जुर्माना वसूल करें।

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को बड़ी राहत दी है।

हाईकोर्ट ने कन्हैया कुमार की नागरिकता छीनने की मांग वाली जनहित याचिका (Public Interest Litigation) को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान बेवजह याचिका दाखिल कर कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने की निंदा की। अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए याची पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया।

याचिकाकर्ता ने दी थी ये दलील

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याची ने दलील दी कि कन्हैया कुमार ने अन्य छात्रों के साथ 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारेबाजी की। जिसको लेकर आपराधिक मुकदमे का ट्रायल चल रहा है।

देश विरोधी नारेबाजी एवं गतिविधियों के बावजूद केन्द्र सरकार कन्हैया कुमार की नागरिकता नहीं छीन रही है। कन्हैया कुमार के ग्रुप के लोग पाक के उकसाने पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों को स्वतंत्रता संघर्ष करने वाला करार देते हैं। ऐसे लोग देश की शांति भंग करने में जुटे हैं।

न्यायालय ने साफ किया कि आपराधिक मुकदमे के चलते किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा चलने के आधार पर किसी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती है। याचिका दिग्भ्रमित होकर दाखिल की गयी।

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