आखिर चीन ने BBC वर्ड न्यूज पर क्यों लगाया प्रतिबंध ?

आखिर चीन ने BBC वर्ड न्यूज पर क्यों लगाया प्रतिबंध ?
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यूं तो चीन ने अपने देश में कई सारी चीजों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है सोशल मीडिया के तमाम सारे ऐप चीन ने स्वयं निर्मित किए हैं लेकिन हाल ही में चीन में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ के प्रसारण पर देश में रोक लगा दी है।

चीन ने इस प्रतिबंध के पीछे अनुचित पत्रकारिता का हवाला दिया है। चीन का कहना है कि बीबीसी वर्ल्ड सही और निष्पक्ष पत्रकारिता का उल्लंघन करता है। इसने चीन के दिशानिर्देशों यानी गाइडलाइन का पालन नहीं किया इसके साथ ही बीबीसी की रिपोर्टिंग चीन के राष्ट्रीय हितों और एकजुटता को प्रभावित करती है।

इसके साथ ही चीन ने बीबीसी पर झूठी और अफवाह फैलाने वाली रिपोर्टिंग का इलजाम लगाया है। लेकिन संचार और सूचना के मामले में बीबीसी अकेला नहीं है जिसपर चीन ने पाबंदी लगाई है।

क्या चीन ने ब्रिटेन से प्रतिशोध के प्रसारण पर लगाया प्रतिबंध-

चीन

बीबीसी वर्ल्ड पर लगाए गए प्रतिबंध को चीन का बदला भी माना जा रहा है। क्योंकि पिछले सप्ताह ब्रिटेन के मीडिया नियामक ऑफकॉम ने चीन के सरकारी नियंत्रण वाले चैनल CGTN सीजीटीएन का प्रसारण लाइसेंस निलंबित कर दिया था।

ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगाने के पीछे का तर्क बताते हुए कहा था कि हमने जांच में पाया है कि CGTN के पास एडिटोरियल कंट्रोल की कमी थी। इसके साथ ही इस चैनल का संबंध चीन में की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के साथ है।

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चीन पर सच्चाई छुपाने के लग रहे हैं आरोप-

चीन BBC न्यूज

BBC की ओर से जारी वकतव्य में कहा गया है कि हमें खेद है कि चीन के प्रशासन ने ये कदम उठाया है। बीबीसी दुनिया के सबसे विश्वस्नीय अंतर्राष्ट्रीय समाचार प्रसारकों में से एक है और दुनियाभर से पूरी निष्पक्षता से, बिना डर या पक्षपात के रिपोर्टिंग करता है।

चीन ने बीबीसी की कोरनावायरस महामारी और शिनजियांग में वीगर मुसलमानों के शोषण पर रिपोर्टों की आलोचना की है।

चीनी प्रशासन विदेशी मीडिया पर लगातार प्रतिबंध बढ़ा रहा है-

आखिर चीन ने BBC वर्ड न्यूज पर क्यों लगाया प्रतिबंध ?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के विदेशी मीडिया के रिपोर्टर को कम वक्त के वीजा दिये जा रहे हैं। विदेशी पत्रकारों को आधिकारिक मान्यता देने को लेकर धमकाया जा रहा है कि अगर उनकी कवरेज सरकार के अनुसार सही नहीं पायी गई, तो उन्हें दोबारा मान्यता नहीं दी जायेगी।

चीन की सरकारी टेलीकॉम कंपनी चाइना टेलीकॉम लिमिटेड ही इंटरनेट मुहैया कराती है-

चीन BBC न्यूज

ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट की हन्ना बेली ने बीबीसी से कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर होने वाली चर्चा को प्रभावित करने के लिए चीनी सरकार पहले भी कई तरीके अपनाती रही है। चीन की सरकार सिर्फ अपनी बात पर जोर देने के जो तरीके अपना रही है, विदेशी मीडिया को खारिज करना और उसकी सत्यता पर सवाल उठाना भी उन में से एक है।

मीडिया और इंटरनेट पर चीन लगाता आया है प्रतिबंध-

ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि चीन में इंटरनेट और मीडिया पर सबसे सख्त पाबंदियां लागू हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन की अपनी सोशल मीडिया वेबसाइटें हैं और उन्हें इस्तेमाल करने वाले चीनी लोगों को पता है कि वे वहां जो कुछ भी लिख रहे हैं, उस पर नजर रखी जा रही है, उसे सेंसर किया जा रहा है।

आम तौर पर चीनी सोशल मीडिया कंपनियां राजनीतिक रूप से संवेदनशील पोस्टों को हटा देती हैं। इनमें विरोध प्रदर्शनों या फिर सरकार की आलोचना से जुड़ी पोस्ट होती हैं।

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इन वेबसाइट औऱ एप है प्रतिबंध-

चीन में गूगल सर्च, जी मेल, गूगल मैप, यूट्यूब, फेसबुक, वॉट्सएप, एमेजॉन प्राइम, ट्विटर, इंस्टाग्राम, न्यूयॉर्क टाइम्स, माइक्रोसॉफ्ट वन ड्राइव, पिनट्रेस्ट जैसी वेबसाइट्स नहीं खुलती हैं।

चीन में लोग TikTok एप का ग्लोबल वर्जन भी इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसकी जगह उन्हें DouYin एप का ऑप्शन दिया गया है।

फेसबुक मैसेंजर जैसी सर्विस की जगह से चीन में यूजर्स Tenceny QQ मैसेंजर का इस्तेमाल करते हैं।

चीन में Quora की जगह Zhihu प्रयोग होता है।

चीन में वॉट्सएप का इस्तेमाल करने पर रोक है। इसकी जगह यूजर्स WeChat ऐप का इस्तेमाल करते हैं।

कुछ दिनों पहले चीन की सरकार ने आधिकारिक तौर पर ऑडियो आधारित चैटिंग ऐप क्लबहाउस पर बैन लगाया था।

चीन में यूट्यूब का इस्तेमाल नहीं होता है। वहां यूजर्स Youku Toudo सर्विस की मदद लेते हैं।

चीन में सर्च इंजन गूगल की जगह नागरिकों को Baidu सर्च इंजन ऑफर किया जाता है।

भारत समेत दुनिया कई देश बीबीसी पर लगा चुके है प्रतिबंध-

2017 में भारत सरकार ने देश के सभी नेशनल पार्क और सेंचुरी में बीबीसी पर 5 वर्षों का बैन लगाया था। इसके पीछे कांजीरंगा पर बीबीसी द्वारा बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री थी।

2015 में भी बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। यह डॉक्यूमेंट्री दिल्ली दुष्कर्म घटना पर आधारित थी।

2011 में पाकिस्तान ने बीबीसी वर्ल्ड न्यूज टीवी चैनल पर बैन लगाया था।

अगस्त 2017 में ईरान ने बीबीसी पर्सियन स्टाफ की संपत्ति को जमा कर लिया था। बीबीसी पर्सियन ईरान में बैन कर दिया गया था। लेकिन इसके रेडियो और टीवी वहां काफी लोकप्रिय हैं।

2016 में नॉर्थ कोरिया ने बीबीसी के जर्नलिस्टों पर बैन लगा दिया था।

2001 में जिम्बॉबे ने बीबीसी के पत्रकारों पर पार्लियामेंट दिखाने को लेकर बैन लगाया था।

बुरुन्डी सरकार ने 2018 से बीबीसी पर बैन लगा रखा है।

2014 में चीन ने बीबीसी की सभी वेबसाइट्स पर बैन लगाया था।

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