जाने सावित्रीबाई फुले के बारे में जिन्होंने कड़े संघर्षो के बाद महिलाओँ को शिक्षा का अधिकार दिलाया

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देश के कई हिस्से ऐसे हैं जहाँ आज भी बालिकाओं को पढ़ाया लिखाया नहीं जाता , ज़रा सोचिये आज से करीब 150 साल पहले क्या हाल होगा? और कल्पना कीजिये , एक औरत वर्षो पूर्व लोगों को महिला शिक्षा के लिए प्रेरित करने का काम करती थीं। क्या कहेंगे उस महिला को आप ? महानायिका या शिक्षा की देवी ?

आज हम आपको उस शख्सियत से रूबरू करायेगें जो नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थी , जिनका नाम माता सावित्रीबाई फुले है। डेढ़ सौ साल पहले समाज के भारी विरोध के बाद भी देश की महिलाओं में शिक्षा की अलख जगाने वाली महानायिका भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले थीं , हम माता सावित्री बाई फुले जी को कोटि-कोटि नमन करतें हैं।

1848 में सावित्रीबाई जी ने भारी विरोध के बाद भी देश का पहला कन्या विद्यालय खोला। उस स्कूल में मात्र 9 बालिकाओं ने दाखिला लिया था। सावित्रीबाई फुले जब उन बालिकाओं को पढ़ाने जाती थीं तब उन पर कीचड़ , गोबर , पत्थर आदि फेकं कर लोग उन्हें तरह-तरह से परेशान करते थे। वह अपने साथ एक अतिरिक्त साडी ले कर जाती थीं व पढ़ाने से पहले अपनी पुरानी साडी बदल लेती थीं। देखते ही देखते मात्र एक वर्ष में ही एक विद्यालय से बढ़कर यह संख्या पांच कन्या विद्यालय तक हो गयी। देश की पहली महिला प्रधानाध्यापक होने का गौरव भी माता सावित्रीबाई फुले को हासिल हुआ।

माता सावित्रीबाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले , उन्‍होंने पहला और अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला। हमारे इतिहासकारों ने जातिगत मानसिकता से ग्रस्त होने के कारण सावित्रीबाई फुले को उनके हक़ का सम्मान नहीं दिया। आज हम समाज को माता सावित्रीबाई फुले के द्वारा नारी शिक्षा अधिकारों के लिए किए गए संघर्षों  को बता  रहें हैं।

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पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले के जीवन की कुछ बातें-

1. इनका जन्‍म 3 जनवरी, 1831 में दलित परिवार में हुआ था।
2. 1840 में 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई की शादी 13 साल के ज्‍योतिराव फुले से हुई।
3. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले , उन्‍होंने पहला और अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला।
4  . उन्‍होंने 28 जनवरी 1853 को गर्भवती और बलात्‍कार पीडि़तों के लिए बाल हत्‍या प्रतिबंधक गृह की स्‍थापना की।
5 . सावित्रीबाई जी ने उन्नीसवीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियाो  के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर कर काम किया।
6 .अपने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई को अपने घर में प्रसव करवा के उसके बच्चे यशंवत को अपने दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया ,दत्तक पुत्र यशवंत राव को पाल-पोसकर इन्होंने डॉक्टर बनाया।
7 . महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु सन् 1890 में हुई ,तब सावित्रीबाई ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिये संकल्प लिया।
8. माता सावित्रीबाई फुले जी की मृत्यु 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजों की देखभाल करने के दौरान हुई।
9. उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओं और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता।

उनका पूरा जीवन समाज के लिए आदर्श है , जिसमें वह सबको पढ़ने लिखने की प्रेरणा देकर जाति तोड़ने और जातिगत मानसिकता से ग्रस्त ग्रंथों को फेंकने की बात करती हैं। उन्हें ज्योतिबा के सहयोगी के तौर पर ज्यादा देखा जाता है, जबकि इनका अपना एक स्वतंत्रत अस्तित्व था, उन्होंने ज्योतिबा फुले जी के सपने को आगे बढ़ाने में जी-जान लगा दिया , माता सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले दोनों सही मायनों में एक दूसरे के पूरक थे। सच अक्सर कड़वा लगता है। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है।

डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर माता सावित्री बाई फुले और महात्मा जोतिबा फुले से प्रेरित हुए –

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माता सावित्री बाई फुले और उनके पति महात्मा जोतिबा फुले जी के द्वारा महिलाओं के लिए और समाज में शिक्षा के प्रति कामों को देख कर डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर काफी प्रेरित हुए , जिसके बाद बाबा साहब ने संविधान में महिलाओं के लिए अलग से शिक्षा व्यवस्था और उनके हक़ की बात लिखी। बाबा साहब ने महिलाओ को सिर्फ लिखने-पढ़ने और नौकरी करने का अधिकार ही नहीं बल्कि समाज व संसार में सम्मान का भी हक़ दिलाया , बाबा साहब ने संविधान में एक ऐसा क़ानून भी बनाया जो बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने संविधान में लिखा की अगर कोई गर्भवती महिला कहीं नौकरी करती हैं तो उससे प्रसव के तीन महीने पूर्व नौकरी से अवकाश मिल जायेगा व अवकाश के दौरान महिला को पूरा वेतन मिलेगा।

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