जिन्होंने हमारा आशियाना बनाया आज उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा ?

किसी भी क़ीमत पर किसी को भी खाने की कमी नहीं होगी, पर क्या सच में सरकार के द्वारा कहा जा रहा यह कथन सही है। अगर सही है तो मज़दूर सड़को पर क्यों है ?

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दरअसल में सरकार के पास न कोई एजेंडा होता न कोई नीति और न ही पूर्व में नियोजित कोई कार्ययोजना जब इक्षा हुई वज़ीरे आज़म चले आये और हो गया राष्ट्र के नाम संबोधन, कहते हुए तो बहुत अच्छा लगता है घर पर रहिये सेफ रहिये।

फोटो सोर्स – businesstoday.in

आज लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं, सरकार लाख दावा कर ले हम सबका इंतजाम कर रहे, सबको खाना खिला रहे हैं ये बाते सिर्फ़ ट्विटर तक अच्छी लगती असल में अभी भी कोई खासा प्लान नहीं है। और इसका परिणाम गरीब मजदूर भुगत रहा है, जब चाहो लाठी चलवा दो जब चाहो मुर्गा बनवा के घुटने के बल चलवा दो कानून है भाई गरीबों के लिए बना है अमीर तो आज चोरी छुपे निकल जाते हैं।

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जिस तरह की तस्वीरें मुम्बई के बांद्रा से आ रही हैं हजारों मजदूरों ने सोचा आज ट्रेने खुल जायेंगी तो वह अपने घर चले जायेंगे केंद्र सरकार ने भी पहले से स्पष्ट नही किया था की बन्दी और ज्यादा दिनों तक जारी रहेगी रेलवे 14 तारीख के बाद अपने रिजर्वेशन खोल दिये थे करीब 45 लाख के टिकट भी बेच दिए।

फोटो सोर्स – nationalheraldindia.com

राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को चाहिए की राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुँचाने का समुचित प्रयास करे ताकी वो भी अपने परिवार को देखकर खुश हो सके। आज भी देश में आम वर्ग इस आशा में था उसके लिए उसके परिवार के लिए कुछ घोषणा होंगीं और उसे लगी हाथ तो सिर्फ निराशा। कैसे पलेगा गरीब के परिवार का पेट ? क्या होगा किसान का तमाम सारे मुद्दे हैं ? जिन पर खुल के न सिर्फ बात हो बल्कि निराकरण भी हो।

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