अनाथालय से बाहर भी होती है अनाथों की दुनिया

अनाथालय से बाहर भी होती है अनाथों की दुनिया - वॉक्सी टॉक्सी
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“अनाथालय” शब्द सुनते ही हमारे मन में सामन्यतः करुना एवं दया जाग उठती है क्योंकि हम जानते हैं कि इन अनाथालयों में समाज का वो वर्ग रहता है जो अनाथ बच्चों का है | पर क्या आपने ‘अनाथ युवा’ के बारे में सुना है ? या फिर आप ये जानते हैं कि अनाथालय से बाहर आकार कई बार उनकी ज़िन्दगी और कठिन हो जाती है ?

आखिर कौन होते हैं अनाथ ?

सामन्यतः अनाथ बच्चे से हमारी समझ उन बच्चों के लिए होती है जिनके माता और पिता दोनों का देहांत हो गया हों या जिनका समाज में कोई भी अपना नहीं हो।

परन्तु सयुंक्त राष्ट्र संघ के एक अंग यूनिसेफ के अनुसार अनाथ ऐसे बच्चे होते हैं जिनके पिता अथवा परिवार के कमाने वाले मुखिया का देहांत हो गया हो और वह कठिन आर्थिक परिस्थितयों में रह रहे परिवार का भाग हो|

विभिन्न आंकड़ों के अनुसार भारत में ऐसे बच्चों कि संख्या लगभग २ करोड़ हैं !

अनाथालय के अन्दर से लेकर अनाथालय से बहार तक!

हम कई बार अनाथालयों में भोजन या अन्य वस्तुओं को दान करने की  भावना से जाते है |

ये अनाथ बच्चे 18 वर्ष की आयु तक अनाथालयों में रहते हैं जहाँ उन्हें भोजन , आवास और शिक्षा प्रदान की  जाती है|

पर क्या हमें ये पता है कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद वो कहाँ जाते हैं? किस प्रकार अपने भोजन और रहने की जरूरतों को पूरा करते हैं ?

क्या 18 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद अनाथालयों से  बाहर आने पर उनकी पढ़ाई जारी रह पाती है? शायद हम इन विषयों के बारे में नहीं सोचते |

इसका कारण 18 साल की उम्र पूरी कर चुके इन बच्चों का बालिग़ हो जाना है |

एक ऐसी उम्र में जबकि वो अपने सपनों की  उड़ान को पंख दे सकते हैं ,उन्हें नीतिगत नियमों के अभाव के कारण जीवन की दुष्कर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है |

हालांकि आनाथालय से बाहर आने पर 18-21 वर्ष के लड़कों और 18-25 वर्ष की  लड़कियों के लिए आफ्टर केयर होम्स का प्रावधान है। पर सामान्यत इन आफ्टर केयर होम में उन्हें केवल रहने की जगह दी जाती है और अपने रोजगार तथा शिक्षा का प्रबंध उन्हें खुद करना होता है।

यही कारण है कि वो ऐसी समस्याओं का सामना करते हैं जिनके बारे में उन्हें ज्यादा पता नहीं होता |

उनकी समस्याओं में उचित दिशा निर्देशन का ना होना महत्वपूर्ण हो जाता है जिसके परिणाम स्वरुप कई युवा गलत रास्तों और गतिविधियों कि तरफ मुड़ जाते हैं।

यही नहीं शिक्षा छूट जाने के कारण वो अपने जीवन में कई बार आगे नहीं बढ़ पाते जिसका खामियाजा उनको जीवन भर भुगतना पड़ता  है |

हमारी सरकारी नीतियां  “अनाथ युवा “ शब्द नहीं रखतीं, यही  कारण है कि सरकारी नीतियों में इनका स्थान नहीं है हालांकि कुछ राज्यों में अनाथ युवाओं को लेकर जागरूकता आई है परन्तु फिर भी उनके समस्याओं के समाधान में ये अभी भी पर्याप्त नहीं है |

हमारे समाज में ये युवा अदृश्य रूप से विद्यमान रहते हैं और हमें पता भी नहीं चलता |

इसीलिए अबकी बार जब भी आप दान पुन्य करने किसी अनाथालय जाइएगा तो ये पता लगाने की कोशिश जरूर करियेगा कि जो बच्चे यहाँ से युवा बनकर बाहर जाते हैं उनकी बेहतरी किस प्रकार से की जा सकती है ?

अंततः ये अनाथ युवा भी हमारे देश के ही नागरिक हैं, उनको भी सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है |

इस बार जब भी “ अनाथालय “ शब्द सुनियेगा तो अपने दिल और दिमाग में उस अनाथ युवा को भी जगह दे दीजियेगा जो अनाथालय से बाहर आकर मुश्किलों के बीच जीवन जीता है |

 

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