नई पीढ़ी ये जाने कि कौन था सद्दाम हुसैन ? Saddam Hussein biography in brief

Saddam Hussein biography in brief in hindi - वॉक्सी टॉक्सी
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अक़्सर आप सद्दाम हुसैन का नाम सुनते होंगे यह नाम सुनते ही आपके मन में सबसे पहले कौन सा शब्द आता है शायद वह “तानाशाह” होगा, जी हम उसी सद्दाम हुसैन की बात कर रहें हैं।

दो दशकों तक इराक़ के राष्ट्रपति रहे सद्दाम हुसैन का जन्म वर्ष 1937 के अप्रैल महीने में बग़दाद के उत्तर में स्थित तिकरित के एक गाँव में हुआ था।

इराक़ के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने 1990 में आज ही के दिन कुवैत को अपना हिस्सा घोषित किया था. उन्होंने कुवैत सिटी का नाम बदलकर अल कदीमा रख लिया था।

सद्दाम हुसैन को बड़े-बड़े महल बनाने के अलावा बड़ी-बड़ी मस्जिदें बनवाने का भी शौक था, एक इसी तरह की मस्जिद उन्होंने मध्य बग़दाद में बनवाई थी जिसे ‘ उम्म अल मारीक’ नाम दिया गया था. इसको बनवाने का सिलसिला कुछ यू रहा कहते हैं कि 2001 में सद्दाम की होने वाली सालगिरह के लिए बनाया गया था ख़ास बात ये थी कि इसकी मीनारें स्कड मिसाइल की शक्ल की थीं.ये वही मिसाइलें थीं जिन्हें सद्दाम हुसैन ने खाड़ी युद्ध के दौरान इसराइल पर दग़वाया था।

सद्दाम हुसैन को था पानी के फौव्वारो और स्वीमिंग करने का शौख

अब आप सोच रहे होंगे की इराक जैसे रेगिस्तानी मुल्क में इतना पानी स्विमिंग पूल और फव्वारे आखिर कहां से?
तो हम आपको बता दें इराक़ जैसे रेगिस्तानी मुल्क में पहले पानी धन और ताक़त का प्रतीक हुआ करता था और आज भी है।

इसलिए सद्दाम के हर महल में फव्वारों और स्वीमिंग पूल की भरमार रहती थी. सद्दाम को स्लिप डिस्क की बीमारी थी. उनके डाक्टरों ने उन्हें सलाह दी थी कि इसका सबसे अच्छा इलाज है कि वो खूब चहलकदमी और तैराकी करें
दिलचस्प बात ये है कि सद्दाम अपने जिस भी महल में सोते थे, उन्हें सिर्फ़ कुछ घंटों की ही नींद लेनी होती थी. वो अक्सर सुबह तीन बजे तैरने के लिए उठ जाया करते थे।

सद्दाम हुसैन ने अपने खून से लिखवाई अपनी बनवाईं के के लिए कुरान

सद्दाम पर कई सारे लेखकों ने बहुत कुछ लिखा है
सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखने वाले कॉन कफ़लिन लिखते हैं, “सद्दाम की बनवाई एक मस्जिद में सद्दाम के ख़ून से लिखी गई एक कुरान रखी हुई है.
खून से लिखी हुई कुरान के सभी 605 पन्ने कांच के एक खास तरह के केश में रखी हुई है लोगों को दिखाने के लिए
वही मस्जिद के इमाम का इस पर कहना है की सद्दाम ने इस कुरान को लिखने के लिए लगातार 3 साल तक अपना 26 लीटर खून दिया था।

सद्दाम का शुरुआती जीवन बहुत मुश्किलों के बीच बीता

सद्दाम पर एक और किताब, ‘सद्दाम हुसैन, द पॉलिटिक्स ऑफ़ रिवेंज’ लिखने वाले सैद अबूरिश का मानना है कि सद्दाम की बड़ी-बड़ी इमारतें और मस्जिदें बनाने की वजह तिकरित में बिताया उनका बचपन था, जहाँ उनके परिवार के लिए उनके लिए एक जूता तक ख़रीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे।

सद्दाम ने अपने मन्त्री को घड़ी देखने के लिए दी इतनी बड़ी सजा

सन 2002 का शुरुआत में सद्दाम ने कैबिनेट बैठक के दौरान अपने एक मंत्री को अपनी घड़ी देखते हुए देख लिया.जब बैठक समाप्त हो गई तो उन्होंने उस मंत्री को रुकने के लिए कहा. उन्होंने उनसे पूछा, ‘क्या आपको बहुत जल्दी है?’जब उस मंत्री ने कहा कि ऐसी बात नहीं है तो सद्दाम ने उन्हें डांटते हुए कहा कि ऐसा कर आपने मेरा अपमान किया है.
“सद्दाम ने आदेश दिया कि उन मंत्री को उसी कमरे में दो दिनों तक कैद रखा जाए. वो मंत्री बैठक कक्ष में दो दिनों तक कैद रहा और उसे लगता रहा कि उसे कभी भी बाहर ले जाकर गोली मारी जा सकती है. आखिर में सद्दाम ने उनके प्राण तो बख्श दिए लेकिन उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा.”

सद्दाम को अक्सर सताता रहता था जान का खतरा

सद्दाम पर एक और किताब लिखने वाले अमाज़िया बरम लिखते हैं, “ये देखते हुए कि सद्दाम के शासन के कई दुश्मनों को थेलियम के ज़हर से मारा गया था, सद्दाम को अंदर ही अंदर इस बात का डर सताता था कि कहीं उन्हें भी कोई ज़हर दे कर न मार दे. हफ़्ते में दो बार उनके बग़दाद के महल में ताज़ी मछली, केकड़े, झींगे और बकरे और मुर्गे के गोश्त की खेप भिजवाई जाती थी.”
वो आगे लिखते हैं, “राष्ट्पति के महल में जाने से पहले परमाणु वैज्ञानिक उनका परीक्षण कर इस बात की जाँच करते थे कि कहीं इनमें रेडियेशन या ज़हर तो नहीं है.”

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उसको पराई औरतों से सम्बन्ध रखना बहुत अच्छा लगता था

लेखक सय्यद अबूरिस लिखते हैं की राष्ट्रपति भवन में कई साल तक काम करने वाले एक कर्मचारी ने उनको बताया की सद्दाम हुसैन को शादीशुदा औरतों के साथ संबंध बनाने में बहुत आनंद आता था यह काम वह उनके पतियों को जलील करने के लिए करता था।

बाहरियों से ज्यादा अपनो से परेशान रहता था सद्दाम हुसैन

सद्दाम के लिए उनके विरोधियों से ज़्यादा उनका खुद का परिवार परेशानी का कारण था और उसमें बहुत बड़ी भूमिका थी उनकी अपनी पत्नी साजिदा के प्रति बेवफ़ाई की.1988 के आसपास सद्दाम को बहुत बड़े पारिवारिक संकट से गुज़रना पड़ा जब उनके इराकी एयरवेज़ के महानिदेशक की पत्नी समीरा शाहबंदर से संबंध हो गए.

30 दिसम्बर 2006 को सद्दाम को फांसी दे दी गई

सद्दाम हुसैन को वर्ष 1982 में इराक़ में हुए दुजैल जनसंहार मामले में दोषी पाया गया था और पिछले साल नवंबर में उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई गई थी. वर्ष 1982 में सद्दाम हुसैन पर जानलेवा हमले की कोशिश के बाद दुजैल में 148 शियाओं को मार दिया गया था.

 

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