नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) और कई अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, सरकार (Government) ने संसद के मानसून सत्र (Monsoon session of parliament) में प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव को लोकसभा (Lok Sabha) में रखा, जिसे मंजूरी प्रदान कर दी गई।
सरकार (government) ने विपक्ष के विरोध के बावजूद प्रश्नकाल (Question Hour) और गैर सरकारी कामकाज (Non official business) के निलंबन के प्रस्ताव को सदन में पास करा लिया। इस दौरान विपक्ष के कई बड़े नेताओं (Opposition leaders) ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल के निलंबन का विरोध किया और सरकार पर सवालों से बचने का आरोप लगाया। जिस पर सरकार ने कहा कि यह असाधारण परिस्थिति है, जिसमें राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए।
क्या कुछ कहा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सरकार के अन्य मंत्रियों ने
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, इस सत्र के दौरान प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज नहीं रखने पर अधिकतर दलों के नेताओं ने सहमति दी थी और प्रश्नकाल नहीं होने पर भी सदस्य सरकार से सवाल कर सकते हैं।
वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार सवालों से भाग नहीं रही है और वह सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है। सदन ने प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री ने जब यह प्रस्ताव रखा तो सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल ‘स्वर्णकाल’ होता है और इसे सदन की आत्मा भी कहा जा सकता है।
यह सरकार की जवाबदेही के लिए होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 73 साल के बाद सरकार प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया।
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