Hindi Poetry: मोहब्बत के समंदर के दो गोताखोर अम्रता प्रीतम जी और दुष्यंत जी

Hindi Poetry: अम्रता प्रीतम जी और दुष्यंत जी के जीवन का प्यार भले ही उनके नसीब में न रहा हो पर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आप दोनों ने ही प्यार को हर एक कण में जिया होगा।

Hindi Poetry DUSHIYANT KUMAR OR AMRITA PRITAM-min
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कल अम्रता प्रीतम जी का जन्म दिन था और आज दुष्यंत जी का, दोनों ही अपने आप में बेमिसाल और लाजवाब थे। दोनों को देखा नहीं ,जाना नहीं पर पढ़कर समझने की कोशिश जरूर की और अंततः ये तय कर पाया कि दोनों प्रेम को जी कर-महसूस करके उर्दू और हिन्दी कविता लिखने वाले लेखक थे जिन्होंने शायद अपने जीवन में घटित घटनाओं को कलमबद्ध करने का प्रयास किया।

अम्रता जी ने जहाँ प्रीतम का नाम पाया,साहिर का प्रेम पाया औऱ इमरोज़ का साथ, ये तीनों अपने आप में जैसे भी थे, बड़े ही रोचक थे और इसलिए शायद अम्रता जी ने इस हर पल को जीना चाहा।

और हिन्दी कविता के राजा दुष्यंत जी, जिनके बारे में तो शायद बस इतना ही कहूंगा कि शाम को दुष्यंत जब टहलने के लिए छत पर जाते थे तो बगल की छत पर उन्हें एक चाँद दिख जाता औऱ दुष्यंत उस चाँद की चाँदनी को कुछ यूं निहारते कि कलम से कागज पर उतरकर कब ग़ज़ल बन जाती वो खुद नहीं जान पाते थे, ऐसे थे दुष्यंत।

लेकिन शायद जिसको चाहते थे,वो उनको मिलनी न थीं। दुष्यंत जी की जो प्रेमिका थीं उसकी शादी किसी औऱ से हो चुकी थी। शादी के समय दुष्यंत जी की प्रेमिका जिस रास्ते से गुज़र रही होती है उसी रास्ते में एक पुल के नीचे दुष्यंत खड़े होते और कहते कि “तू किसी रेल सी गुजरती है और मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ।”

जान को जाता हुआ देख एक शायर शायद इससे ज्यादा और लिखता भी तो क्या लिखता? फिर दुष्यंत ने बहुत सी हिन्दी कविताये लिखी, अब चाहे इसे प्रेम जी कर लिखा हो या प्रेम के गम में, इसी क्रम में दुष्यन्त ने ‘साये में धूप’ नामक एक ग़ज़ल लिखी, जो उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में एक थी।

आज दुष्यंत जी हम सब के बीच तो नहीं है पर अपनी लेखनी की जो अमिट स्याही वो छोड़ गए हैं। वो उनको मौजूदगी हम सबको हमेशा महसूस कराती रहेगी।

दुष्यंत जी को उनके जन्मदिन पर नमन।❤😊

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