उत्तर प्रदेश के राजनीतिक अखाड़े में पैर जमा रही आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद, यूपी प्रभारी संजय सिंह की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है।
एक ओर सूबे की योगी सरकार ने जहां उनके ऊपर 13 एफआईआर पहले से कर रखी थी, वही अब उनके ऊपर राजद्रोह लगा दिया गया है। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में राजद्रोह की धारा जोड़ने के बाद लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने उन्हें 20 सितंबर (रविवार) को 11 बजे हाजिर होने का नोटिस भेजा है।
क्या है जातिगत सर्वे
पिछले दिनों लखनऊ समेत कई जिलों में लोगों को फोन कॉल करके जातिगत सर्वे कराया गया था, जिससे हड़कंप मच गया था। बाद में संजय सिंह ने अपनी पार्टी की तरफ से सर्वे कराने की जिम्मेदारी ली थी। शासन के आदेश पर संजय सिंह के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अब इसी मामले में गुरुवार को राजद्रोह की धारा के साथ 41ए जोड़कर समन जारी किया गया है, जिसमें पुलिस ने संजय सिंह को 20 सितंबर को पेशी पर बुलाया है।
पुलिस की सख्ती पर बन्द हुआ सर्वे
आम आदमी पार्टी के दिल्ली के तिमारपुर से विधायक दिलीप पांडेय ने बताया था कि सर्वे अब बन्द किया जा चुका है, क्योंकि यूपी पुलिस ने एजेंसी के लोगों की धर पकड़ शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि यूपी के लगभग हर हिस्से में लोगों को फोन किये गये हैं, जिससे कोई भी क्षेत्र छूटे नहीं. उन्होंने कहा कि यदि पुलिस ने इसे रोका न होता तो वे इसे और भी बड़े स्केल पर करना चाह रहे थे।
बीते कुछ दिनों पहले जारी किए थे आंकड़े
बता दें पिछले दिनों यूपी प्रभारी संजय सिंह ने जातिगत सर्वे के नतीजे जारी किए थे। उन्होंने बताया कि 68 हजार लोगों को फोन करके ये सर्वे किया गया था। सर्वे के नतीजों में यह दावा किया गया है कि 63 फीसदी लोगों ने यह माना है कि योगी सरकार जातिवादी है, जबकि 28 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते हैं। 9 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है।